चाणक्य नीति: व्यक्ति को इन 6 बातों के कारण करना पड़ता है दुख का सामना

Thursday, Nov 10, 2016 - 03:37 PM (IST)

आचार्य चाणक्य एक बड़े दूरदर्शी विद्वान थे। चाणक्य जैसे बुद्धिमान, रणनीतिज्ञ, चरित्रवान व राष्ट्रहित के प्रति समर्पित भाव वाले व्यक्ति भारत के इतिहास में ढूंढने से भी बहुत कम मिलते हैं। इनकी नीतियों में उत्तम जीवन का निर्वाह करने के बहुत से रहस्य समाहित हैं, जो आज भी उतने ही कारगर सिद्ध होते हैं। जितने कल थे। इन नीतियों को अपने जीवन में अपनाने से जीवन में सफलता हासिल की जा सकता है। चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को जीवन में ऐसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है जिसके कारण उसे दुख का सामना करना पड़ता है। 

 

आचार्य चाणक्य कहते हैं-

कांता-वियोग: स्वजनामानो,
ऋणस्य शेष: कुनृपस्य सेवा।
दरिद्रभावो विषमा सभा च,
विनाग्निना ते प्रदहन्ति कायम्।।

 

अर्थात: चाणक्य ने इस श्लोक में 6 ऐसी बातों का उल्लेख किया है, जो इंसान को जीते जी आग में जलाती हैं।

 

* चाणक्य के अनुसार कोई भी अच्छा व्यक्ति अपनी पत्नी या प्रेमिका का वियोग या उसकी दूरी सहन नहीं कर पाता है। 

 

* अपने मित्रों अौर रिश्तेदारों द्वारा अपमान करने पर व्यक्ति को दुख का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति अपनों से अपमानित होने के बाद उस क्षण को नहीं भूला पाता है। 

 

* कई लोग अधिक कर्ज ले लेते हैं अौर उसे चुकाने में असमर्थ होते हैं। उन्हें हर समय कर्ज चुकाने की चिंता रहती है। 


* कपटी और चरित्रहीन राजा या मालिक के सेवक सदैव ही इस बात से परेशान रहते हैं। 

 

* किसी भी इंसान के लिए गरीबी एक अभिशाप की तरह ही है। गरीब व्यक्ति आर्थिक तंगी के कारण सदैव दुखी रहता है। उसे कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 

 

* इसके अतिरिक्त किसी व्यक्ति के आस-पास के लोग स्वार्थी हैं फिर भी उनके साथ रहना पड़े तो यह उसके लिए दुख की बात ही है। 
 

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