Chanakya Niti: जिसका काम उसी को साजे और करे तो बुद्धु बाजे

Wednesday, Jun 03, 2020 - 11:09 AM (IST)

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आचार्य चाणक्य की नीतियों में सुखी जीवन के कई सूत्र छिपे हैं, जिन्हें आज भी प्रयोग में लाया जाता है। प्रत्येक व्यक्ति अपना काम स्वंय बेहतर ढंग से कर सकता है लेकिन कुछ कार्य ऐसे होते हैं, जिन्हें वही मनुष्य कर सकता है जिसे उसके बारे में पूर्ण जानकारी और रुचि हो। आचार्य चाणक्य ने कवि, स्त्री, शराबी और कौवे से संबंधित उदाहरण दिए हैं जिन्हें ध्यान रखने पर व्यक्ति को कई लाभ प्राप्त हो सकते हैं।

कवि की सोच असीमित होती है
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि कवि की सोच असीमित होती है। कवि अपनी कल्पना से कहीं भी पहुंच कर सब कुछ देख लेता है जो अन्य नहीं देख पाते। एक कहावत के अनुसार, 'जहां न पहुंचे रवि, वहां पहुंचे कवि' अर्थात जिस स्थान सूर्य की रोशनी का पहुंचना कठिन है, वहां कवि की सोच आसानी से पहुंच जाती है। कवि अन्य लोगों की सोच से आगे की बात सोच कर अपनी कविताओं में वर्णन कर सकते हैं।

महिलाएं बिना सोच-विचार करती हैं कार्य
आचार्य चाणक्य के अनुसार पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में विवेक की कमी होती है। पुरुष कोई भी खतरे वाला कार्य करने से पूर्व उसके बारे में सोचता है लेकिन अधिकतर महिलाएं सोच-विचार किए बिना ही कोई भी कार्य जल्दबाजी में कर लेती हैं और परिणामस्वरुप उन्हें मुश्किलों को झेलना पड़ता है इसलिए किसी भी काम को करने से पहले उसके बारे में सोच लेना चाहिए।

शराबी को नहीं होता उचित-अनुचित का ज्ञान
नशा करने से व्यक्ति की सोचने-समझने की ताकत क्षीण हो जाती है। नशे की हालत में इंसान ठीक-गलत में अंतर नहीं कर पाता। अपने सामर्थ्य से ज्यादा नशा करने से व्यक्ति सभी सीमाओं को भूल जाता है। उसे उचित-अनुचित का ध्यान नहीं रहता और उसके दिमाग में जो आता है वह बोलना शुरु कर देता है। नशे में व्यक्ति वह कार्य कर सकता है, जो होश में वो सोच भी नहीं सकता।

कौए में होती है सोचने की कम क्षमता 
आचार्य चाणक्य के अनुसार कौए में सोचने-समझने की शक्ति नहीं होती कि उसे कौन सी चीजें खानी चाहिए और कौन सी नहीं। कौआ अपनी समझ से कोई भी चीज खा लेता है। कौए से हम ये शिक्षा ले सकते हैं कि हमें अपनी खाने-पीने की चीजों की तरफ ज्यादा ध्यान देना चाहिए। उन चीजों के सेवन से बचना चाहिए जो नुकसानदायक हैं।

Niyati Bhandari

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