Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के अनुसार भगवान भी ऐसे लोगों से प्रसन्न नहीं होते

Sunday, Aug 13, 2023 - 10:08 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की बताई गई नीतियां आज भी उतनी ही कारगर हैं, जितनी पहले थी। इनके मुताबिक चलने से व्यक्ति हमेशा कामयाबी के शिखर तक अवश्य पहुंचता है। चाणक्य निति में आचार्य चाणक्य द्वारा लिखित सूत्र दिखने में चाहे छोटे  हैं लेकिन इनका प्रभाव बहुत ही गहरा सबित होता है। जीवन में हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए इनका अध्ययन बहुत ही जरुरी है। तो आइए जानते हैं आचार्य चाणक्य के कुछ नीति सूत्र।

कर्म से मिलता है ज्ञान
तत्त्वज्ञानं कार्यमेव प्रकाशयति

भावार्थ : कर्म करने से ही तत्वज्ञान को समझा जा सकता है। जब तक कर्म न किया जाए, प्रयत्न न किया जाए, साधना न की जाए, पूर्ण निष्ठा से शास्त्रों का अध्ययन न किया जाए, तब तक ईश्वरीय सत्ता को नहीं समझा जा सकता। ईश्वरीय सत्ता को समझने के लिए सबसे पहले कर्म को सुधारना बहुत जरुरी है। अगर व्यक्ति के कर्म सही न हो तो उसे ईश्वर को पाने में असफलता का सामना करना पड़ता है।

धर्म से भी बड़ा व्यवहार है
धर्मादपि व्यवहारो गरीयान।

भावार्थ : व्यवहार के बिना धर्म का प्रचार-प्रसार नहीं किया जा सकता। व्यवहार के अभाव में धर्म का प्रभाव जन मानस पर नहीं पड़ सकता। चाणक्य नीति के अनुसार जिस व्यक्ति का आचरण सही न हो वो हमेशा अपने धर्म का प्रचार करने में असफल होता है और भगवान भी उससे प्रसन्न नहीं रहते।  

दुख झेलता है ‘कर्महीन’ व्यक्ति
न च स्वर्गपतनात् पर दु:खम्।

भावार्थ : जिस मनुष्य का आचरण और कर्म पतन की ओर अग्रसर हो गए, समझो उसके स्वर्ग का पतन हो गया। सद्आचरण और कर्म से हीन व्यक्ति अपने स्वर्ग-पतन से भी बढ़कर कष्ट झेलता है।

नहीं छूटता शरीर का ‘मोह’
देही देहं त्यक्त्वा ऐन्द्रपदं न वांछति।

भावार्थ : इसका भाव यही है कि आदमी अपने वर्तमान जीवन में, शरीर के मोह में इतना अधिक लिप्त हो जाता है कि उसे इस भौतिक देह को त्याग कर इंद्र के परम पद की कामना भी नहीं होती, अर्थात वह इंद्रियों को वश में करके परम सुख की ओर नहीं जाना चाहता।

Niyati Bhandari

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