कैसे करें अपनों की पहचान
Friday, May 04, 2018 - 04:28 PM (IST)
अक्सर लोग इंसान की पहचान करने में धोखा खा जाते हैं, जिसका खामियाज़ा उन्हें बाद में भुगतना पड़ता है। हिंदू ग्रथों में कुछ एेसे संकेत दिए गए हैं, जिससे कोई भी आसानी से सामने वाले इंसान की पहचान कर सकता है। इसके लिए व्यक्ति को सिर्फ कुछ साधारण सी बातों का ध्यान रखने की आवश्यकता है।
आचार्य चाणक्य ने भी अपने नीतिशास्त्र की कुछ नीतियां द्वारा यह बताना चाहा है कि किस परिस्थिति में व्यक्ति का व्यवहार कैसा होता है। कौन हमारे कितना अनुकूल है, यह समय आने पर ही मालुम होता है। अपने-पराए लोगों की परख करने के लिए आचार्य चाणक्य ने कुछ खास बातें बताई हैं। आईए जानते हैं उन नीति के बारे में-
श्लोक-
आतुरे व्यसने प्राप्ते दुर्भिक्षेत्र शत्रुसंकटे।
राजद्वारे श्मशाने च यस्तिष्ठति स बांधव:।
अर्थ- जो व्यक्ति बीमारी में, दुख में, अकाल में, दुश्मन के कोई संकट खड़ा करने पर, शासकीय कार्यों में, श्मशान में ठीक समय पर आ जाए वही इंसान आपका सच्चा उपकारक होता है।
जब कोई व्यक्ति किसी भयंकर रोग से ग्रस्त हो और जो लोग उसका साथ देते हैं वे ही उसके सच्चे हितकारी होते हैं। जब किसी के जीवन में कोई भयंकर दुख आ जाए या कोई मुकदमा, कोर्ट केस में फंस जाए, तब जो इंसान गवाह के रूप में साथ देता है वही सच्चा मित्र कहलाने का अधिकारी होता है।
जो व्यक्ति मृत्यु के समय उपस्थित हो वही सच्चा मित्र होता है। जब किसी शासकीय कार्य में कोई अड़चन आ जाए और जो मित्र आपका साथ दे वही सच्चा इंसान है।
आचार्य चाणक्य ने ये 6 हालात ऐसे हैं जहां आपका सच्चा दोस्त या रिश्तेदार ही साथ दे सकता है। अत: जो इन स्थितियों में आपका साथ देता है उनसे मित्रता कभी भी नहीं तोड़नी चाहिए, इनके साथ सदैव स्नेह बनाकर रखना चाहिए।