Champa shashti: कार्तिकेय के दर्शन बाल रूप में ही क्यों होते हैं, पढ़ें कथा

Tuesday, Nov 29, 2022 - 10:57 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Champa shashti: कार्तिकेय के दर्शन बाल रूप में होते हैं। कार्तिकेय देवों के सेनापति हैं तथा शक्ति के आदि देवता हैं। वह मोर पर सवारी करते हैं। प्रतिष्ठा, विजय, व्यवस्था तथा अनुशासन इनकी कृपा से प्राप्त होते हैं। इनका बल संतुलनीय है। कार्तिकेय का पालन-पोषण बाल्यकाल में कृतिकाओं ने किया। इसी कारण इनका नाम ‘कार्तिकेय’ पड़ा। कृतिकाओं को माता का स्थान दिया गया है। स्कंद पुराण सभी पुराणों में अधिक विशाल है। इसमें भगवान शिव की महिमा का बखान किया गया है।

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें

कार्तिकेय के बाल रूप में रहने के पीछे भी एक कथा प्रचलित है। कहते हैं, यह एक शाप के कारण हुआ। एक बार भगवान शिव तथा पार्वती एक खेल खेलते हैं, जिसमें भगवान शिव अपना सब कुछ हार जाते हैं तथा इस हार के पश्चात वह गंगा किनारे चले जाते हैं। कैलाश पर भगवान शिव को न पाकर कार्तिकेय को चिंता होती है। पूछने पर माता पार्वती उन्हें सब बता देती हैं। घटनाक्रम जानकर कार्तिकेय शिव के पास जाते हैं तथा उनसे वापस लौटने की प्रार्थना करते हैं। शिव कहते हैं कि यदि उनकी हारी हुई वस्तुएं वापस मिल जाएं तभी वह कैलाश लौट सकते हैं। कार्तिकेय कैलाश आकर माता पार्वती से खेल में भगवान शिव की सारी वस्तुएं पुन: जीत लेते हैं तथा भगवान शिव को लौटा देते हैं। 

इधर पार्वती भी शिव के चले जाने से चिंतित होती हैं। जब गणेश जी को माता के उदास होने का कारण पता चलता है तो वह शिव के पास जाकर उनकी व्यथा कहते हैं। शिव पुन:पार्वती से खेल की इच्छा व्यक्त करते हैं। इस बार खेल में शिव जीतने लगते हैं। 

गणेश जी जब ध्यानपूर्वक सारा खेल देखते हैं, तो उन्हें पता चलता है कि यह सब भगवान विष्णु की माया से हो रहा है। सारा रहस्य वह माता पार्वती को बताते हैं। तब पार्वती क्रोध में आकर शिव को श्राप दे देती हैं तथा कार्तिकेय को भी सदैव बालक रूप में ही रहने का शाप मिलता है। तब से कार्तिकेय बाल अवस्था में ही हैं।

Niyati Bhandari

Advertising