Chaitra Navratri 2020: इस तरीके से करेंगे पूजा तो घर में बनी रहेगी Positivity

Thursday, Mar 19, 2020 - 12:13 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में बहुत ही खास होता है और ये 9 दिन मां अम्बे की अराधना के बहुत अच्छे माने जाते हैं। कहते हैं कि इस दौरान अगर कोई सच्चे मन से मां दुर्गा की आराधना करता है तो उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इस साल चैत्र नवरात्रि का पर्व 25 मार्च से शुरू हो रहा है। इसी के साथ कई शुभ संयोग भी इस नवरात्रि बन रहे हैं। बहुत से लोग 9 दिनों तक व्रत रखते हैं और माता की कृपा को प्राप्त करते हैं। लेकिन जो लोग व्रत नहीं रख सकते हैं उनके लिए कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन जरूरू होता है। 

सबसे पहले तो इस बात का ध्यान रखें कि नवरात्रि के नौ दिन घर में अच्छे से साफ सफाई रखें। खासतौर से पूजा के कमरे को विशेष रूप से साफ रखें। वरना माता रानी नारज़ हो सकती हैं। 

घर में सकारात्मकता बनी रहे उसके लिए आपको अपने घर के मंदिर को सुगंधित फूलों से सजाना चाहिए और ध्यान रहे कि ये फूल रोजाना बदले जाएं, वरना नकरात्मक ऊर्जा का वास होगा। 

घर के मंदिर में कभी भी अंधेरा न रखें। किसी न किसी तरह से उसमें रोशनी आती रहे। वास्तु के अनुसार नवरात्रि में सुबह शाम मां की पूजा और आरती करने से जीवन में उजाला आ जाता है, जिससे हर तरह का वास्तु दोष खत्म होता है।
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नवरात्रि के दौरान कभी भी घर को अकेला न छोड़ें। अखंड ज्योति जलाएं और अगर ये न हो पाए तो सुबह शाम दीप दान करें। 
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व्रत रखने वाले लोगों को नौ दिन विधि विधान मां की पूजा करनी चाहिए और कथा भी सुनी या पढ़नी चाहिए। 

व्रत रखने वाले इस बात का भी ध्यान रखें कि वे पूरे नौ दिन तक नाखून, दाढ़ी-मूंछ और सिर के बाल न कटवाएं। वरना इससे माता रुष्ट हो सकती हैं।

नवरात्रि के दौरान चमड़े के सामान जैसे बेल्ट, चप्पल, जूते या बैग का इस्तेमाल न करें। यहां तक कि व्रत रखने वाले लोगों को नींबू भी नहीं काटना चाहिए। साथ ही प्याज, लहसुन और नॉनवेज से दूरी बनाकर रखें।

व्रत रखने वाले लोग साफ सुथरे रहें। अनाज और नमक का बिल्कुल भी सेवन न करें। खाने में सेंधा नमक प्रयोग कर सकते हैं। 

उपवास के दौरान हर बार माता जी की पूजा करने के बाद ही फलाहार ग्रहण करें। यानि सुबह माता जी की पूजा के बाद दूध और कोई फल ले सकते हैं। दिनभर मन ही मन माता जी का ध्यान करते रहें। शाम को फिर से माता जी की पूजा और आरती करें। इसके बाद एक बार और फलाहार कर सकते हैं। 

Lata

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