Chaitra navratri: आज से नवरात्रि आरंभ, सबके दुखों का हरण करेंगी ‘मां भगवती आदिशक्ति’

punjabkesari.in Wednesday, Mar 22, 2023 - 09:29 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Chaitra navratri 2023: वेद, उपनिषद्, पुराण, इतिहास आदि सभी प्राचीन ग्रंथों में सर्वत्र मां भगवती आदि शक्ति की ही अपरंपार महिमा का वर्णन है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवसंवत्सर का, वासंतिक नवरात्रि का प्रारंभ होता है। प्रतिपदा से नवमी तक मां नवदुर्गा के नवरूपों की पूजा-आराधना, पाठ, जप, यज्ञ-अनुष्ठान, व्रत, दुर्गा सप्तशती का पाठ आदि मां भगवती आदिशक्ति को प्रसन्न करने के लिए किए जाते हैं।

PunjabKesari Chaitra navratri
1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें

दुर्गा सप्तशती में वर्णित अध्यायों के पाठ के संबंध में इसके बारहवें अध्याय में मां जगदंबा कहती हैं, जो भी इन स्तोत्रों द्वारा एकाग्रचित्त होकर मेरी स्तुति करेगा, उसके संपूर्ण कष्टों को नि:संदेह मैं हर लूंगी। मधु-कैटभ के नाश, महिषासुर के वध और शुंभ तथा निशुंभ के वध की जो मनुष्य कथा कहेंगे अथवा एकाग्रचित्त हो भक्तिपूर्वक सुनेंगे, उन्हें कभी कोई पाप न रहेगा, पाप से उत्पन्न विपत्ति भी उन्हें न सताएगी, उनके घर में दरिद्रता न होगी, कोई भय न होगा।

अत: प्रत्येक मनुष्य को भक्तिपूर्वक मेरे इस कल्याणकारक माहात्म्य को सदा पढ़ना और सुनना चाहिए। देवतागण मां भगवती जगत जननी की स्तुति में कहते हैं, ‘‘हे शरणागतों के दुख दूर करने वाली देवी! हे संपूर्ण जगत की माता! आप प्रसन्न हों। विन्ध्येश्वरी! आप विश्व की रक्षा करें क्योंकि आप इस चर और अचर की ईश्वरी हैं। आप भगवान विष्णु की शक्ति, विश्व की बीज परममाया हैं और आपने ही इस संपूर्ण जगत को मोहित कर रखा है। आपके प्रसन्न होने पर ही यह पृथ्वी मोक्ष को प्राप्त होती है।’’

प्राचीन काल में देवताओं और असुरों में 100 वर्षों तक हुए घोर युद्ध में देवताओं की सेना परास्त हो गई थी और महिषासुर इंद्र बन बैठा था। देवताओं ने अपनी हार का सारा वृत्तांत भगवान श्री विष्णु और शंकर जी से कह सुनाया, ‘‘ महिषासुर सूर्य, चन्द्रमा, इन्द्र, अग्नि, वायु, यम, वरुण तथा अन्य देवताओं के सब अधिकार छीन कर स्वयं सबका अधिष्ठाता बन बैठा है।’’

PunjabKesari Chaitra navratri
यह सुनकर भगवान श्री विष्णु और शंकर जी बड़े क्रोधित हुए। तभी उनके तथा अन्य देवताओं के मुख से मां भगवती का तेजोमय रूप प्रकट हुआ, तथा सभी ने अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र, दिव्य वस्त्र, उज्ज्वल हार, दिव्य आभूषण भेंट करके मां का सम्मान किया और कहा,‘‘देवी! आपकी जय हो।’’ इसके साथ ही महर्षियों ने भक्ति भाव से विनम्र होकर उनकी स्तुति की।

भीषण युद्ध में देवी ने जब महिषासुर को मार कर असुरों की सेना का संहार कर दिया, तब इन्द्र आदि समस्त देवताओं ने सिर तथा शरीर को झुकाकर मां भगवती की स्तुति की और बोले- ‘‘जिस अतुल प्रभाव और बल का वर्णन भगवान विष्णु, शंकर और ब्रह्माजी भी नहीं कर सके, वही चंडिका देवी इस संपूर्ण जगत का पालन करें और अशुभ भय का नाश करें। जिस देवी ने अपनी शक्ति से यह जगत व्याप्त किया है और जो संपूर्ण देवताओं तथा महर्षियों की पूजनीय हैं, उन अंबिका को हम भक्तिपूर्वक नमस्कार करते हैं, वह हम सब का कल्याण करें।’’

तब मां भगवती दुर्गा ने देवताओं को आशीर्वाद देते हुए कहा,‘‘हे देवताओ! तुमने जो मेरी स्तुति की है अथवा ब्रह्माजी ने जो मेरी स्तुति की है, वह मनुष्यों को कल्याणमयी बुद्धि प्रदान करने वाली है।’’

एक समय मधु-कैटभ नामक दो दैत्य ब्रह्मा जी को मारने के लिए उद्यत हो गए। जब ब्रह्मा जी ने देखा कि भगवान विष्णु योगनिद्रा का आश्रय लेकर सो रहे हैं, तो वह श्री भगवान को जगाने के लिए उनके नेत्रों में निवास करने वाली योगनिद्रा की स्तुति करने लगे-
‘‘तुम इस विश्व को धारण करने वाली हो, तुमने ही इस जगत की रचना की है और तुम ही इस जगत का पालन करने वाली हो। देवी! जगत की उत्पत्ति के समय तुम सृष्टि रूपा होती हो, पालन काल में स्थित रूपा हो और कल्प के अन्त में संहाररूप धारण कर लेती हो।’’

PunjabKesari Chaitra navratri

मां भगवती जगदंबा देवताओं से कहती हैं- घोर बाधाओं से दुखी हुआ मनुष्य, मेरे इस चरित्र को स्मरण करने से संकट से मुक्त हो जाता है। मां भगवती की कृपा से संपूर्ण देवता अपने शत्रु असुरों के मारे जाने पर पहले की तरह यज्ञ भाग का उपभोग करने लगे। इस प्रकार भगवती अंबिका नित्य होती हुई भी बार-बार प्रकट होकर इस जगत का पालन करती हैं, इसको मोहित करती है, जन्म देती हैं और प्रार्थना करने पर समृद्धि प्रदान करती हैं।

जो श्रद्धा भाव से मां भगवती की स्तुति करता है, मां आदि शक्ति उन्हें शुभ बुद्धि प्रदान करती हैं। वही मनुष्य के अ युदय के समय घर में लक्ष्मी का रूप बना कर स्थित हो जाती है। वास्तव में नवरात्रि पर्व है आध्यात्मिक उन्नति और अनुभूति का, जिसमें मनुष्य को अपने विकारों पर नियंत्रण करने तथा अपने कल्याण के लिए शुद्ध सात्विक आचार, विचार, आहार तथा जप-तप आदि धर्म कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त होता है।   

PunjabKesari kundli


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News