Chaitra Navratri 2022: दो वरदान कर्म कमाए माता, सपने नए हम सजाएं माता

Tuesday, Apr 05, 2022 - 01:12 PM (IST)

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के चौथे दिन देवी दुर्गा के चौथे स्वरूप माता कुष्मांडा की पूजा का विधान है। कहा जाता है इनकी पूजा करने से जीवन में चल रही विभिन्न समस्याओं से छुटकारा पा मिलता है। ग्रंथों में वर्णन किए वर्णन के अनुसार कूष्मांडा, यानी कुम्हड़ा। कहा जाता है कूष्मांडा एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है कुम्हड़ा, यानी कि- कद्दू, यानि कि- पेठा, जिसका हम घर में सब्जी के रूप में इस्तेमाल करते हैं। मां कूष्मांडा को कुम्हड़े की बलि बहुत ही प्रिय है, मान्यता है कि इसलिए मां दुर्गा का नाम कूष्मांडा पड़ा। तो आइए चौथे नवरात्र के अवसर पर जानते हैं माता की वंदन आरती-


चतुर्थ रूप मैया कूष्मांडा
‘अमृत कलश उठाया अमृत भरा’
नित्य तेरी ज्योत जलाएं माता!!
श्रद्धा के फूल चढ़ाएं माता।
चरणों में शीश झुकाएं माता!!
दिल में तुझको बसाएं माता।।
आरती उतारें सुबह-शाम!!
कूष्मांडा माता कूष्मांडा माता।।
नित्य तेरी ज्योत...कूष्मांडा माता।।
अमृत-कलश उठाया अमृत भरा!!
स्वादिष्ट लगे सबको बड़ा।
गरजते सिंह पर सवारी करे!!
झोलियां खुशियों से मां तू भरे।।
मुकुट और माला में हीरे जड़े!!
अमृत कलश उठाया...
भक्त हजारों तेरे द्वारे मैया खड़े।
आरती की थाली सजाएं माता!!
भेंटें गाएं तुझे रिझाएं माता।।
नित्य तेरी ज्योत...कूष्मांडा माता।।


अंधेरा छाया धरती पर चारों ओर!!
इंसां का न था कहीं भी शोर।
नौ ग्रहों की रचना की तूने!!
विराट जग की शोभा भरी तूने।।
निवास स्थान सूर्यमंडल!!
चमके अदृश्य प्रभा से तेरा मुखमंडल।
गदा चक्र कमंडल उठाए माता!!
पुष्प धनुष बाण लहराए माता।।
नित्य तेरी ज्योत...कूष्मांडा माता।।
झिलमिल अम्बालवी दर पे आए!!
लाल झंडे हाथों में लहराए।
तेरी पूजा का फल मिलता है!!
स्वॢणम-रश्मि कल मिलता है।।
शेरांवाली डाले फेरा घर पर!!
करें अर्चना नित तेरे दर पर।।
दो वरदान कर्म कमाए माता!!
सपने नए हम सजाएं माता।।
नित्य तेरी ज्योत...कूष्मांडा माता।।

Jyoti

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