इन चीजों का Business करने वाला कभी नहीं कमा सकता पुण्य

Wednesday, Nov 22, 2017 - 11:10 AM (IST)

जब इंसान ऊपर उठकर मन और इंद्रियों को अपने वश में कर लेता है, तब वह योगी हो जाता है। अब उसके द्वारा किया गया हर कर्म निष्काम होता है, फलरहित होता है और इसे अकर्म कहते हैं। जो कर्म समाज की व्यवस्था को गड़बड़ा दे, दूसरों को पीड़ा पहुंचाए या खुद को नीचे की ओर ले जाए, वह विकर्म या उलटे कर्म कहलाते हैं। ऐसे कर्म पाप फल देते हैं। इंसान विकर्म तब करता है, जब उसके मन के घने अंधकार की वजह से अंदर का विकार प्रचंड रूप ले लेता है। असलियत में इन कर्मों को समझना बड़ा मुश्किल है क्योंकि कब कौन-सा कर्म व्यक्ति कर ले या कौन-सा कर्म अपना फल देने लगे, पता ही नहीं चलता। आप भी इस असमंजस में डूबे हैं तो विष्णु पुराण का पठन करें। इस ग्रंथ से आपको स्वयं द्वारा किए गए कर्मों का स्वयं विश्लेषण करने का अवसर प्राप्त होगा। जीवन में सही मार्ग पर कैसे चलना है, इसका ज्ञात होगा। जीविका कमाते वक्त किए गए कर्म भी पुण्य को कम कर देते हैं। आईए जानें कौन से हैं वो व्यापार


पानी- प्यासे को पानी पिलाना पुण्य का काम माना जाता है। एक जमाना था जब यह पुण्य लोग कमाते थे। कस्बों से लेकर ग्रामीण अंचलों में गर्मी के मौसम में सक्षम लोग जगह-जगह मिट्टी के मटकों में पानी भरकर प्याऊ लगवाते थे। पानी प्रकृति की अनमोल देन है। इसका दान सर्वोत्तम माना गया है। पानी को बेचने वाला कभी भी खुशहाल जीवन का निर्वाह नहीं कर सकता।


शुद्ध देसी घी- गाय के दूध से शुद्ध देसी घी का निर्माण होता है। आयुर्वेद में चरक संहिता के अंतर्गत यह वर्णित है कि गाय का शुद्ध (गौ घृत) अर्थात देसी घी स्मरण शक्ति, बुद्धि, ऊर्जा, बलवीर्य, ओज बढ़ाता है, गाय का घी वसावर्धक है तथा वात, पित्त, बुखार और विषैले पदार्थों का नाशक है। गृहिणी को इसे घर पर ही बनाना चाहिए, न तो इसे बाजार से खरीदना चाहिए और न ही बेचना चाहिए।


गाय का दूध- गाय माता अपने बच्चे को दूध पिलाती दिख जाए तो उनका दर्शन बहुत शुभ प्रभाव देता है। गाय माता का दूध ही नहीं बल्कि गोबर और गोमूत्र भी बहुत पवित्र है। जरा सोचें वह स्वयं कितनी पवित्र होगी। उनके शरीर का स्पर्श करने वाली हवा भी पवित्र होती है। जहां गाय बैठती है, वहां की भूमि पवित्र होती है। गाय के चरणों की धूली भी पवित्र होती है। गाय के दूध को बेचना महापाप माना गया है। 


तिल- तिल का दान करने से कई कार्यों में आ रही रुकावटें भी दूर होती हैं अौर व्यक्ति वैभव व ऐश्वर्य का आनंद लेता है। इसे बेचने वाला पतन की ओर अग्रसर होता है।


सरसों, गुड़, नमक और गुड़- विष्णु पुराण में कहा गया इनको धन के लोभ में आकर बेचना नहीं चाहिए।

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