Budh Pradosh Vrat: बिना पैसे खर्च किए रखें कुछ बातों का ध्यान, जीवन का हर दोष होगा समाप्त
punjabkesari.in Tuesday, Aug 19, 2025 - 02:08 PM (IST)

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Budh Pradosh Vrat 2025: शास्त्रों में प्रदोष व्रत का बहुत महत्व बताया गया है। यह व्रत विशेष रूप से शिव जी को समर्पित होता है और हर महीने त्रयोदशी तिथि की संध्या को आता है। जब यह व्रत बुधवार के दिन पड़ता है, तब इसे बुध प्रदोष व्रत कहते हैं। भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत 20 अगस्त 2025 को पड़ रहा है। इस व्रत के प्रभाव से न केवल कुंडली के बल्कि जीवन के भी सारे दोष समाप्त होते हैं। श्रद्धा भाव से शिवलिंग का रुद्राभिषेक, व्रत, मंत्र जाप और दान करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और बुध दोष भी दूर होता है। भादों के बुध प्रदोष व्रत पर प्रदोष काल का समय शाम 6.56 से रात 9.07 के मध्य का है।
Importance of Budha Pradosh बुध प्रदोष का महत्व
माना गया है की बुध प्रदोष व्रत करने से न केवल बुध ग्रह बल्कि भगवान शिव की भी कृपा प्राप्त होती है। बुध ग्रह बुद्धि, वाणी, गणित, व्यापार और तर्कशक्ति का कारक है। इस दिन व्रत-उपवास और पूजा करने से बुध ग्रह की अशुभता दूर होती है और शिव जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत के प्रभाव से आर्थिक स्थिरता, व्यापार में सफलता, पारिवारिक सुख-शांति और संतान की उन्नति होती है।
What should be done on Budha Pradosh बुध प्रदोष पर क्या करना चाहिए
प्रातः स्नान के बाद शिव जी का स्मरण करें। यदि संभव हो तो उपवास रखें (फलाहार या जल उपवास)। संध्या के समय (प्रदोषकाल: सूर्यास्त से लगभग 1.5 घंटे बाद तक) शिवजी की पूजा करें। शिवलिंग पर जल, दूध, गंगा जल, शहद, बेल पत्र, धतूरा, और अक्षत चढ़ाएं। भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र का जप करें।
मंत्र- ॐ नमः शिवाय
बुध ग्रह की कृपा के लिए इस मंत्र का जप लाभकारी रहेगा
मंत्र- ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः
Donate these things on Budha Pradosh day बुध प्रदोष के दिन करें इन वस्तुओं का दान- हरे रंग की वस्तुएं जैसे हरी मूंग, पान, हरे वस्त्र और तुलसी पत्र अर्पित करना शुभ होता है। गरीबों, ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को हरी वस्तुएं या भोजन दान करें।
What should not be done on Budha Pradosh बुध प्रदोष पर क्या नहीं करना चाहिए
बड़े-बुजुर्गों, महिलाओं और किन्नरों का अपमान न करें।
क्रोध, कटु वाणी और वाद-विवाद से बचें।
मांसाहार, शराब, सिगरेट, लहसुन-प्याज आदि का सेवन न करें।
बुरे विचार या छल-कपट से दूर रहें।
संध्या काल में भोजन न करें (प्रदोष पूजा के बाद ही फलाहार करें)।
शिवलिंग पर नारियल पानी, कुमकुम, हल्दी और तुलसी पत्र अर्पित न करें।
किसी पेड़-पौधे की पत्तियां न तोड़ें।
काले रंग के कपड़े न पहनें।