Kundli Tv- बिगड़े रिश्ते को संवारेंगे यह Break up Experts

Sunday, Aug 12, 2018 - 02:45 PM (IST)

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आज हम बहुत से ऐसे विवाह देखते हैं जिनमें जरा भी वास्तविक प्रेम नहीं होता। ऐसे विवाहों में कलह-क्लेश ही भरा होता है। इसका कारण है पति-पत्नी में आपसी समझ का न होना। अधिकतर मामलों में पति-पत्नी एक दूसरे को समझने की कोशिश तक नहीं करते। एक सच्चे रिश्ते के विकास के लिए मानवीय स्वभाव की समझ यानी महिला और पुरुष के स्वभाव की समझ जरूरी है। पति को पता होना चाहिए कि पत्नी क्या चाहती है और पत्नी को भी पता होना चाहिए कि पति क्या चाहता है। दुर्भाग्यवश आज इस समझ की बहुत कमी है। पति-पत्नी दो अलग संसारों में रहते हैं जिनमें उनका एक-दूसरे के साथ कोई सम्पर्क ही नहीं है। वे दो ऐसे अलग द्वीप बन गए हैं जिनमें कोई सम्पर्क नहीं, बल्कि कोई परिवहन का साधन भी नहीं है।


मन के सच्चे मिलन के लिए पहले दिल मिलने चाहिएं जबकि आज की दुनिया में सिर्फ शरीर मिलते हैं। आज विवाहों में दिलों का असली मिलन बहुत कम होता है, तो दोनों में प्यार कैसे पैदा हो सकता है? यदि कोई एक ‘हां’ कहता है तो दूसरा बिना शक कहेगा ‘नहीं’। आप कभी भी दोनों ओर से ‘हां’ या ‘न’ नहीं सुनेंगे। पुरुष तथा स्त्री के अलग-अलग स्वभाव को समझा और स्वीकार किया जाना चाहिए। पति-पत्नी दोनों को एक-दूसरे की भावनाओं को समझने के लिए एक सचेत प्रयास करना चाहिए। एक-दूसरे के दिल तक पहुंचकर इस समझ को आधार बना कर दूसरे की समस्याओं को दूर करने की कोशिश करनी चाहिए। उन्हें एक-दूसरे पर नियंत्रण नहीं करना चाहिए। उन्हें एक-दूसरे को यह नहीं कहना चाहिए कि ‘मैंने ‘हां’ कही है तो तुम्हें भी ‘हां’ ही कहनी चाहिए।’


ऐसे रवैये का त्याग करना चाहिए क्योंकि इससे सिर्फ क्रोध तथा नफरत ही पैदा होगी। ऐसे रिश्ते में प्यार बहुत ही सतही होता है। जब दोनों के बीच की यह खाई पटती है तो ही उनके मन की गहराई से प्यार का मीठा संगीत पैदा होता है। उन्हें मिलाने वाला कारक आध्यात्मिकता है। यदि आप अपने पूर्वजों की ओर देखें तो आप पाएंगे कि आज के रिश्तों के मुकाबले उनके रिश्ते अधिक आत्मीय और प्यार भरे होते थे। उनके जीवन में अधिक तालमेल हुआ करता था क्योंकि उन्हें आध्यात्मिक सिद्धांतों तथा उन्हें जीवन में लागू करने की अधिक समझ होती थी।


एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना सीखें। एक-दूसरे की समस्याओं को प्यार से सुनना सीखें। जब आप अपने जीवनसाथी की सुनते हैं तो उसे यह यह समझना चाहिए कि आपकी रुचि उसमें है और आप वास्तव में ही उसकी सहायता करना चाहते हैं। आपके जीवनसाथी को आपके ख्याल और चिंता को महसूस करना चाहिए, आपके सम्मान और प्रशंसा को समझना चाहिए। दूसरे को खुले दिल से स्वीकार किए जाने की जरूरत है। दोनों के बीच कोई आरक्षण नहीं होना चाहिए। फिर भी झगड़े होते ही हैं, गलत समझ तथा अस्वीकार्यता पैदा हो सकती है। परन्तु आगे जाकर किसी एक को कहना चाहिए कि ‘कृपया मुझे माफ कर दो। मैं तुमसे प्यार करता हूं और मुझे दिल की गहराई से तुम्हारी चिंता है। मेरे बारे में गलत मत समझो। मैंने जो कहा वह मुझे नहीं कहना चाहिए था। गुस्से में मैं आपा खो बैठा था।’ 


ऐसे दुलारने वाले शब्द किसी भी तरह की चोट की भावना का उपचार करने में सहायक होंगे। इससे दोनों में गहरे प्यार की भावना पैदा होगी, किसी बड़ी लड़ाई के बाद भी।

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Niyati Bhandari

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