साल का पहला व आखिरी Blood Moon देखने के लिए हो जाइए तैयार, खूबसूरत होगा नजारा

Saturday, May 22, 2021 - 03:09 PM (IST)

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ज्योतिष के साथ-साथ खगोल विज्ञान में रुचि रखने वाले लोग बड़ी शिद्दत से 26 मई की तारीख का इंतजार कर रहे हैं। यह तारीख अपने आप में बहुत खास है। एक तो इस दिन बड़े शुभ योग में वैशाख पूर्णिमा पड़ रही है और दूसरा इस दिन चंद्र ग्रहण भी है। लेकिन सबसे खास बात यह है कि इस दिन इस साल का पहला व आखिरी ब्लड मून भी दिखेगा और यह नजारा अपने आप में अद्भुत होगा। इस दिन चूक गए तो फिर 8 नवंबर 2022 तक यह नजारा देखने के लिए इंतजार करना पड़ेगा। ब्‍लड मून का नजारा तब देखने को मिलता है, जब चंद्रमा को पूरी तरह से ग्रहण लगता है। इस स्थिति को पूर्ण चंद्रग्रहण कहते हैं। दुनिया के कई हिस्‍सों में पूर्ण चंद्रग्रहण कुल मिलाकर 3 घंटे 7 मिनट तक रहने वाला है। लेकिन भारत में यह केवल उपच्छाया चंद्रग्रहण के तौर पर महज 5 मिनट के लिए ही दिखाई देगा और वह भी सारे भारत में नहीं। ब्‍लड मून का नजारा  पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और अमेरिका में तो पूरी तरह से दिखाई देगा।

ब्लड मून उस खगोलीय घटना या स्थिति को कहा जाता है,  जब चांद की पूरी सतह लाल हो जाती है। ऐसा तभी होता है जब पृथ्वी चांद और सूरज के बीच आकर सूरज की रोशनी को सीधे चांद तक पहुंचने से रोकती है। ऐसे में पृथ्वी के वायुमंडल से टकराकर जब रोशनी चांद की सतह पर पड़ती है तो यह लाल रंग में परिवर्तित हो जाती है।  इसे ही खगोल विज्ञान में ब्लड मून कहा जाता है।  नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार लगभग 41 साल पहले 1979 में पहला ब्लडमून दिखाई दिया था। पृथ्वी का चक्कर लगाने के दौरान एक समय ऐसा आता है जब चंद्रमा, पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है । पृथ्वी से ज्यादा नजदीक होने की वजह से चंद्रमा इस दौरान बहुत बड़ा और चमकीला दिखाई देता है।

यह आमतौर पर साल में एक बार होता है। पूर्ण ग्रहण वाला चंद्रमा लाल रंग का दिखाई देता है, इसलिए इसका नाम ब्लड मून पड़ा है।  खगोल विज्ञानियों के अनुसार ग्रहण ग्रस्त  चंद्रमा उस समय दुनिया भर में होने वाले सभी सूर्यास्तों और सूर्योदयों से बची हुई लाल-नारंगी रोशनी से मंद प्रकाशमान रहता है। ग्रहण के दौरान पृथ्वी के वायुमंडल में जितनी अधिक धूल या बादल होंगे, चंद्रमा उतना ही लाल दिखाई देगा। जब चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर एक अण्डाकार कक्षा, या एक लम्बी वृत्त में यात्रा करता है, तो चंद्रमा हर महीने पृथ्वी के निकटतम बिंदु और पृथ्वी से सबसे दूर बिंदु से होकर गुजरता है। 26 मई को चंद्रमा के पृथ्वी के सबसे नजदीक होगा। पूर्वी एशिया, प्रशांत महासागर, उत्तरी व दक्षिण अमेरिका के ज्यादातर हिस्सों और ऑस्ट्रेलिया में ब्लड मून पूरी आभा के साथ दिखाई देगा। भारत के अधिकांश हिस्सों में पूर्ण ग्रहण के दौरान चंद्रमा पूर्वी क्षितिज से नीचे होगा और इसलिए देश के लोग पूर्ण चंद्रग्रहण नहीं देख पाएंगे।

लेकिन पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों के लोग आंशिक चंद्र ग्रहण का आखिरी हिस्सा ही देख पाएंगे, वह भी पूर्वी आसमान से बहुत करीब, जब चंद्रमा निकल ही रहा होगा। फिर भी दुनिया के जिन मुल्कों में लोग ब्लड मून के नजारे को देखेंगे, उसे वे वर्षों तक याद रखेंगे।ता दें ज्योतिष की दृष्टि से   26 अप्रैल को दोपहर 2:17 से शाम 7:19 तक जब पहला चंद्र ग्रहण लगेगा तो उस समय बुध, राहु, सुर्य और शुक्र ये चार ग्रह वृषभ राशि में ग्रह मौजूद रहेंगे। जबकि शनि मकर राशि में,  मंगल मिथुन राशि में, गुरू मीन राशि में और केतु चंद्रमा के साथ वृश्चिक राशि में मौजूद रहेंगे। साल का यह पहला चंद्र ग्रहण चूंकि वृश्चिक राशि में पड़ रहा है, इसलिए सिर्फ वृश्चिक राशि वालों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।

गुरमीत बेदी 
gurmitbedi@gmail.com

Jyoti

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