स्वामी विवेकानंद जन्मदिन आज: सौ साल पहले वह चमत्कार कर दिखलाए जो आज असंभव है

punjabkesari.in Thursday, Jan 12, 2017 - 08:00 AM (IST)

12 जनवरी के लिए विशेष: भारतीय संस्कृति के संवाहक स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद का विराट व्यक्तित्व संपूर्ण अर्थों में भारतीय चेतना का प्रतीक है। इनका नाम बड़े सम्मान और आस्था के साथ लिया जाता है क्योंकि इन्होंने स्वयं को राष्ट्र एवं मानवता के नैतिक और आध्यात्मिक उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। इन्होंने न केवल भारतीय धर्म एवं संस्कृति में नवचेतना का संचार किया बल्कि धर्म निरपेक्ष राष्ट्र और प्रगतिशील समाज की परिकल्पना को आकार देने की भी कोशिश की।


अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस जी के सम्पर्क में आने पर उनका एक नए रूप में अवतरण हुआ। गुरु सेवा, अतिथि-सेवा एवं दीन-दुखियों की सेवा उनके व्यक्तित्व की बहुत बड़ी विशेषता थी। युवा वर्ग पर उनका अटूट विश्वास और स्त्रियों के प्रति विशेष श्रद्धा थी। वह इन दोनों को राष्ट्र-निर्माण की धुरी के रूप में देखते थे। वह शिक्षा पर सबका एकाधिकार चाहते थे, इसलिए देश में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा को उन्नत करने के प्रति सदैव तत्पर रहे। 


जब वह एक बार शिकागो धर्म-सभा में भाग लेने जा रहे थे तो वहां जहाज में उनकी मुलाकात प्रसिद्ध उद्योगपति जमशेद जी टाटा से हुई। इस दौरान उन्होंने टाटा जी को एक वैज्ञानिक शोध संस्थान स्थापित करने का सुझाव दिया जिसके फलस्वरूप देश में ‘इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ साइंस’ की स्थापना हुई।


महान राष्ट्र-निर्माता : स्वामी विवेकानंद की प्रतिभा सर्वोन्मुखी थी। वह योगी, ज्ञानी, धर्म-प्रचारक व महान राष्ट्र-निर्माता थे। उन्होंने पश्चिमी देशों में भारतीय धर्म का खजाना खोलकर देश का नाम रोशन किया। अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस जी की स्मृति में विभिन्न भागों में कई सेवाश्रम स्थापित करके अपने कथन ‘प्राणी मात्र की सेवा ईश्वर की सच्ची पूजा है’ को चरितार्थ किया। इसके द्वारा स्थापित आदर्शों एवं सिद्धांतों ने पूरे विश्व को एक नई दिशा प्रदान की।


स्वामी विवेकानंद नारी जाति का बहुत सम्मान करते थे। स्वामी जी ने विदेशी महिलाओं के सामने भारत की गरिमा व महानता का ऐसा बखान किया कि वे यहीं की होकर रह गईं। कई तो उनकी शिष्या भी बन गईं।


युवाओं के प्रेरणास्रोत : उन्होंने आजीवन युवाओं को जागृत करने का अथक परिश्रम किया। वह चाहते थे कि युवा आगे आकर भारत को विश्व के अग्रणी देशों की पंक्ति में लाने के लिए हर संभव प्रयत्न करें। वह हमेशा यही सीख देते कि भविष्य अपने हाथों में होता है। अत: हमें याद रखना चाहिए कि हमारा प्रत्येक विचार एवं कर्म हमेशा हमारे सहायक होते हैं।


वह कहते थे कि शिक्षा का अर्थ यह नहीं कि तुम्हारे दिमाग में ऐसी बहुत-सी बातें भर दी जाएं जो आपस में ही संघर्ष करने लगें और उसे दिमाग पचा न पाए तो इसका क्या फायदा। शिक्षा ऐसी हो जो हमें इंसान बना सके, हमारा चरित्र-निर्माण कर सके। जो भी आप करना चाहें, पूरे उत्साह और विश्वास से उसमें जुट जाएं।


विवेकानंद की प्रासंगिकता : अपनी दिव्य-दृष्टि के कारण शायद उन्हें भविष्य के विश्व व भारत की स्थिति का अंदाजा हो गया था इसलिए उन्होंने अपने विचारों से न केवल तत्कालीन समाज अपितु भविष्य के समाज की बुराइयों को भी दूर करने का प्रयत्न किया था। उनका जीवन हम सबके लिए प्रेरणास्पद है क्योंकि अपनी महान सेवा के बल पर दुनिया में भारत की आध्यात्मिक पहचान बनाने में सफल हुए विवेकानंद ने सौ साल पहले वह चमत्कार कर दिखलाए जो आज असंभव है।


भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, अशिक्षा व राष्ट्रविरोधी प्रवृत्ति जैसी अनेक बुराइयों से ग्रस्त समाज को एक बार फिर आज स्वामी विवेकानंद के चिंतन से रू-ब-रू कराने का समय आ गया है। वह न केवल एक संत बल्कि एक ऐसे दिव्य पुरुष थे जिन्होंने अपने विचारों से तत्कालीन समाज की कुरीतियों से आजाद किया और उसे उन्नत बनाने के अनेकों प्रयास किए। उनके प्रयत्नों ने आध्यात्मिक जगत के साथ जीवन के सभी क्षेत्रों में उनके विचारों ने एक क्रांति उत्पन्न कर दी।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News