Birthday of Loknayak Jayprakash Narayan: गांधी और सुभाष के व्यक्तित्व के स्वरूप थे लोकनायक जयप्रकाश नारायण

Tuesday, Oct 11, 2022 - 09:56 AM (IST)

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Birthday anniversary of Loknayak Jayprakash: लोकनायक जयप्रकाश नारायण अर्थात जेपी का नाम लेते ही हर भारतीय जो देश या समाज के प्रति जागृत रहता है उसके मन में एक सुभाष चन्द्र बोस जैसा कोई गांधी उभर आता है, जो गांधी की तरह अनुशासित तो हो मगर प्रखरता, ओजस्विता और नेतृत्व कौशल में सुभाष चंद्र बोस के व्यक्तित्व के करीब हो। जो बागी तो हो मगर अराजक नहीं, आजादी के बाद भारतीय राजनीति का सबसे बड़ा आंदोलन ‘जेपी आंदोलन’ था, जो भारत में गैर-कांग्रेसवाद की स्थापना का कारण बना और आगे चलकर कांग्रेस की गलत नीतियों के खिलाफ एक बड़ा अभियान बन गया। जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्तूबर, 1903 में बिहार के तात्कालिक सारण जिले के सिताबदियारा में हुआ था। भारतीय राजनीति के ये एक ऐसे नायक थे जो संभवत: सुभाष चंद्र बोस के बाद सबसे ज्यादा युवाओं में लोकप्रिय थे।

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एक जमाना था जब जेपी कट कुर्ते की धूम पूरे देश के युवाओं में जुनून के रूप में लोकप्रिय थी। उस वक्त के साहित्यकारों ने भी जयप्रकाश नारायण के ऊपर अनेक रचनाएं कीं। महान गीतकार गोपाल प्रसाद नीरज ने लिखा -
‘संसद जाने वाले राही
कहना इंदिरा गांधी से
बच न सकेगी दिल्ली भी
अब जयप्रकाश की आंधी से।’


जेपी के नायकत्व को सारी दुनिया ने पहली बार उस वक्त देखा जब पांच जून, 1974 की विशाल सभा में जेपी ने ‘सम्पूर्ण क्रांति’ के दो शब्दों का उच्चारण किया। क्रांति शब्द नया नहीं था, लेकिन ‘सम्पूर्ण क्रांति’ नया था। गांधी परम्परा में ‘समग्र क्रांति’ का प्रयोग होता था। उस दिन शाम को पटना के गांधी मैदान पर लगभग पांच लाख लोगों की जनसभा में देश की गिरती हालत, प्रशासनिक भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी, अनुपयोगी शिक्षा पद्धति और प्रधानमंत्री द्वारा अपने ऊपर लगाए गए आरोपों का सविस्तार उत्तर देते हुए जयप्रकाश नारायण ने बेहद भावातिरेक में पहली बार ‘सम्पूर्ण क्रांति’ का आह्वान किया। उन्होंने कहा- ‘यह क्रांति है मित्रो! और सम्पूर्ण क्रांति है। विधानसभा का विघटन मात्र इसका उद्देश्य नहीं है। यह तो महज मील का पत्थर है। हमारी मंजिल तो बहुत दूर है और हमें अभी बहुत दूर तक जाना है।’

जेपी ने घोषणा की- भ्रष्टाचार मिटाना, बेरोजगारी दूर करना, शिक्षा में क्रांति लाना आदि ऐसी चीजें हैं जो आज की व्यवस्था से पूरी नहीं हो सकतीं, क्योंकि वे इस व्यवस्था की ही उपज हैं। वे तभी पूरी हो सकती हैं जब सम्पूर्ण व्यवस्था बदल दी जाए और सम्पूर्ण व्यवस्था के परिवर्तन के लिए क्रांति- ‘सम्पूर्ण क्रांति’ आवश्यक है। इस व्यवस्था ने जो संकट पैदा किया है वह सम्पूर्ण और बहुमुखी है, इसलिए इसका समाधान सम्पूर्ण और बहुमुखी ही होगा। व्यक्ति का अपना जीवन बदले, समाज की रचना बदले, राज्य की व्यवस्था बदले, तब कहीं बदलाव पूरा होगा और मनुष्य सुख और शान्ति का मुक्त जीवन जी सकेगा। जेपी का जीवन सम्पूर्ण गांधी का ‘समग्र’ है। ऐसे महानायक के जीवन से नई पीढ़ी को प्रेरणा लेकर राष्ट्र निर्माण में अपनी आहुति डालते रहनी चाहिए। 

Niyati Bhandari

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