Birth Anniversary Of Paramahansa Yogananda: विश्व को ‘क्रिया योग’ देने वाले परमहंस योगानंद के जन्मदिन पर उन्हें नमन

Friday, Jan 05, 2024 - 11:23 AM (IST)

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Birth Anniversary of Sri Sri Paramahansa Yogananda Ji: सदियों से श्री गुरु गोरखनाथ की तपोस्थली गोरखपुर योगियों, तपस्वियों, ऋषि-मुनियों और उनमें श्रद्धा रखने वाले मानवों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। इसी गोरखपुर में 5 जनवरी, 1893 को एक ऐसी महान आत्मा ने नर शरीर धारण कर जन्म लिया, जिसका सांसारिक नाम मुकुंद नाथ घोष रखा गया। पिता भगवती चरण घोष महान योगी श्यामाचरण लाहिड़ी के क्रियायोगी शिष्य होने के साथ ही उस समय की बंगाल-नागपुर रेलवे में उपाध्यक्ष थे।

बालक को 22 वर्ष की युवावस्था हो जाने पर जुलाई 1915 में कोलकाता स्थित श्रीरामपुर में उनके गुरु महान योगी स्वामी श्रीयुक्तेश्र्वगिरी ने संन्यास धर्म की दीक्षा दी। गुरु ने मुकुंद को अपना नाम स्वयं चुनने की स्वतंत्रता प्रदान की, नाम चुना योगानंद, जिसका अर्थ हुआ योग (ईश्वर के साथ मिलन) द्वारा आनंद। साथ ही गेरुए रंग का रेशमी वस्त्र उनके बदन पर लपेट कर कहा, ‘‘किसी दिन तुम पश्चिम में जाओगे, जहां रेशमी वस्त्र को पसंद किया जाता है।’’

त्रिकालदर्शी गुरु की भविष्यवाणी पांच वर्ष बाद यथार्थ रूप धारण करने लगी। जब स्वामी योगानंद 27 वर्ष के थे तो उनको अमरीका के बोस्टन से इंटरनैशनल कांग्रेस ऑफ रीलिजियस लिबरल्स (धार्मिक उदारवादियों के सम्मेलन) से निमंत्रण मिला। 6 अक्तूबर, 1920 को उन्होंने इस सभा को संबोधित किया, इसके बाद से ही भारत के महान धर्म और अध्यात्म की ओर आकर्षित होने वाले ज्ञान पिपासु अमरीका के कुछ लोग उनके संपर्क में आए और योगानंद को अपना गुरु धारण कर लिया।

अमरीका जाने से पहले 1917 में योगानंद ने बंगाल के छोटे से गांव दिहिका में सात बच्चों के साथ एक ऐसे स्कूल की स्थापना कर दी, जहां रूखे परिणाम देने वाली नीरस शिक्षा के स्थान पर बच्चे को पूर्ण मानव में विकसित करने वाली शिक्षा प्रणाली हो। एक वर्ष बाद ही सन् 1918 में बिहार के कासिम बाजार में महाराजा सर मनिंद्र चंद्र नंदी ने रांची का कासिम बाजार पैलेस ‘योगदा ब्रह्मचर्य विद्यालय’ के लिए दे दिया, इसी संस्थान को आज ‘योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया’ के नाम से जाना जाता है।

सन् 1920 में उन्होंने अमरीका में सैल्फ रियलाइजेशन फैलोशिप (एस.आर.एफ.) की स्थापना कर दी। सन् 1925 में कैलिफोर्निया के लॉस एंजल्स के माऊंट वाशिंगटन एस्टेट में एस.आर.एफ. का मुख्यालय बनाया गया, जो आज भी पूरी दुनिया में योगानंद की शिक्षाओं, भारत के योग और आध्यात्मिक ज्ञान के साथ क्रिया योग विज्ञान को प्रचारित और प्रसारित कर रहा है। ‘क्रिया योग’ वही अति उन्नत योग विज्ञान है, जिसका ज्ञान कुरुक्षेत्र में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया था। श्रीमद्भवद्गीता में भी इसका उल्लेख मिलता है। आज दुनिया भर में ‘क्रियायोग’ के लाखों साधक हैं।  देश दुनिया के सभी क्षेत्रों से जुड़े महान खिलाड़ी, विज्ञानी, उद्यमी आदि उनसे मार्गदर्शन ले रहे हैं।

परमहंस योगानंद की आत्मकथा ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी’ सन् 1945 में प्रकाशित हुई, जो विश्व की 65 भाषाओं में अनुवादित हो चुकी है। एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स ने अपने मैमोरियल में शामिल होने वालों के लिए जो अंतिम तोहफा चुना था, वह थी एक बॉक्स में रखी ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी’।

Niyati Bhandari

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