Bihar Panchami 2021: बांके बिहारी के जन्मोत्सव का हुआ आंरभ, निधिवन में हुआ दीपोत्सव

Wednesday, Dec 08, 2021 - 12:33 PM (IST)

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धार्मिक व प्रचलित मान्यताओं के अनुसार संवत् 1652 में मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को स्वामी हरिदास की संगीत साधना से प्रसन्न होकर ठाकुर जी यानि बांके बिहारी जी निधिवन के राज मंदिर में प्रकट हुए थे। इसी दिन प्रत्येक वर्ष बिहार पंचमी के रूप में मनाया जाता है। जिस दौरान धूमधाम से लोग ठाकुर जी का प्राक्ट्योत्सव मनाते हैं। इस वर्ष वृंदावन में ये उत्सव 08 दिसंबर को मनाया जा रहा है। जिसकी भव्य शुरूआत निधिवन में दीपोत्सव व सुंदर रंगोली के साथ हुई। बताया जाता है कि बिहार पंचमी का ये पर्व व उत्सव वृंदावन के प्रमुख त्यौहारों में से एक माना जाता है।

प्रत्येक वर्ष इस उत्सव की तैयारी कई दिन पहले ही आरंभ हो जाती है, इस बार भी ये सिलसिला बरकरार रहा। मंदिर के सेवायत द्वारा बताया गया कि इस बार के बिहार पंचमी उत्सव के लिए मंदिर को विभिन्न प्रकार के रंगबिरंगे गुब्बारों से सजाया गया। परिसर में केसर और हिना के इत्र का छिड़काव भी किया जाएगा। बांके बिहारी के स्वर्ण रज निर्मित पोशाक धारण करवाई जाएगी, जो दिल्ली के विशेष कारीगरीं द्वारा तैयार किया गयाा है। 

इसके अलावा बांके बिहारी मंदिर के सेवायत श्री राजू गोस्वामी जी ने बताया कि दीपदान के पश्चात बांके बिहारी मंदिर में विधि वत रूप से बांके बिहारी ठाकुर जी का अभिषेक किया जाएगा। बता दें बिहार पंचमी के दिन विधि वत रूप से घी, शहद, बूरा, दूध और दही के साथ-साथ गुलाब जल से ठाकुरजी का अभिषेक कराया जाता है। सर्दी से बचाव के लिए ठाकुरजी को चंदन के स्थान पर केसर लगाने का भी क्रम शुरू हो जाता है। अभिषेक के दर्शन सेवायतों के अलावा अन्य श्रद्धालुओं को सुलभ नहीं होते। हर साल मंदिर में पर्दा डालकर अभिषेक किया जाता है। केवल वर्ष में एक ही दिन यानि बिहार पंचमी पर ही चरणामृत के स्थान पर भक्तों को पंचामृत वितरित किया जाता है।

अभिषेक के बाद प्राक्ट्य स्थल पर व स्वामी हरिदास जी के समाधि स्थल आदि स्थलों पर आरती की जाती है। इसके बाद हरिदास जी को सवारी में विराजमान करके शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें भक्त हरिदास जी के साथ बांके बिहारी मंदिर में जाकर उन्हें उनके प्राक्ट्य दिवस की बधाई देते हैं।

 


 

Jyoti

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