Bhuvaneshwari Jayanti 2021: अत्यंत सौम्य व सुंदर हैं मां भुवनेश्वरी का स्वरूप

Friday, Sep 17, 2021 - 01:42 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आज यानि 17 सितंबर शुक्रवार को भुवनेश्वरी जयंती मनाई जा रही है। प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को ये पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भुवनेश्वरी से अर्थात है संसार भर के ऐश्रर्य की स्वामिनी। कहा जाता है ये तीनों लोकों की स्वामिनी हैं। इनके स्वरूप की बात करें तो इनता स्वरूप बहुत ही सुंदर व सौम्य है। इनके मस्तक पर चंद्रमा निद्यमान हैं, तीन नेत्रों से युक्त देवी के मुख पर सदैव मुस्कान की छटा रहती है। मां के एकल स्वरूप में एक मुख, चार भुजा तथा भुजा में गदा-शक्ति एवम दंज-व्यवस्था का प्रतीक है। 

देवी भागवत पुराण में वर्णित है, आदि शक्ति यानि देवी भुवनेश्वरी भगवान शिव के समस्य लीला विलास की सहचरी हैं, यानि सखी हैं। तो वहीं शिव के वाम भाग को भुवनेश्वरी के रूप में जाना जाता है। इसके अतिरिक्त दस महाविद्याओं में मां भगवती को पांचवां स्थान प्राप्त है। ये देवी संपूर्ण महाविद्या में व्याप्त रहती हैं। 

सात करोड़ महामंत्रों से इनकी आराधना की जाती है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार मां भुवनेश्वरी मूलप्रकृति की सर्व स्वरूपा हैं, विश्व का वमन करने के कारण वामा, शिवमई होने से जयेष्ठा और नियंत्रण, फल देने वाली,जीवो को दंडित करने के कारण इन्हें रोद्री कहा जाता है। यहीं चेतना में अनुभति का आनंद हैं।

यहां जानें मां भुननेश्वरी के जाप मंत्र
“ऐं हृं श्रीं ऐं हृं ” 
"ॐ ह्रीं भुवनेश्वर्ये नम: " 
इनका उच्चारण से साधक को समस्त सुखों एवम सिद्धियों की प्राप्ति होती है। 

Jyoti

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