यहां रात में ढोल नगाड़े बजा झूमते हैं महादेव के भक्त

Thursday, Oct 17, 2019 - 09:21 AM (IST)

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शिव के भक्त उन्हें अनेकों नामों से जानते हैं, जैसे महादेव, महाकाल, शिव शंकर, शंभूनाथ आदि। इन नामों से के एक हैं भूतनाथ। कहते हैं महादेव इकलौते ऐसे देव हैं जो भूतों के भी आराध्य है। यही कारण है कि इन्हें भूतनाथ नाम दिया गया है। अब ये तो हुई बात इनते नाम की, मगर क्या आप जानते हैं भारत के मध्यप्रदेश के सतना जिले में इनका इसी नाम पर एक प्राचीन मंदिर भी स्थित है। जी हां, आज हम आपको इसी मंदिर से जुड़ी ऐसी बात बताने जा रहे जिसके बारे में जानने के बाद शायद आप भी हैरान हो जाएं।

भगवान के प्राचीन स्थलों से चमत्कारों की खबरें आना आम बात है। मगर जो जानकारी आज हम आपके लिए लाएं उसे सुनने के बाद शायद आप में बहुत से लोगों को न यकीन नहीं होगा यहां तक कि बहुत से लोग डर भी सकते हैं। हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के सतना जिलें में भूतेश्वर महादेव के पास के जंगलों की जहां कुछ ऐसा ही अजीबो-गरीब घटित होता है।

आप शायद इसे छूठ मानें लेकिन यह अटूट सत्य है कि जहां भूतों के देवता महादेव विराजमान हैं। इतना ही नहीं रात में बियाबान के जंगल में भूतों के नाचने गाने की हृदय बिदारक आवाजें आती हैं। बल्कि यहां के लोग इस मार्ग से गुज़रने तक से डरते हैं।

आप में से काफ़ी लोगों ने सुना होगा कि आज के समय में भूत होते हैं परंतु इस तथ्य को सच साबित करने वाला शायद गही कोई इंसान होगा। परंतु यहां आपने इस बात को सच होते हुए देखा जा सकता है क्योंकि यहां रात में भूत ढोल और नगाड़े बजाते हैं। जिसकी भयंकर आवाज़ें के चलते लोग डरे सहमे रहते हैं।

बता दें कि मध्यप्रदेश के सतना जिला अंतर्गत उचेहरा तहसील के धनिया गांव है जिसके भूतेश्वर महादेव तक पहुंचने के लिए नदी की तीन धाराओं को पार करने के बाद भूत भवन भूतेश्वर के दर्शन होते हैं। यहां पर नदी के बीचों-बीच भूतेश्वर नाथ के रूप में शिवलिंग विराजमान हैं। लोक मान्यता के अनुसार यहां पर रात में ढोल नगाड़े बजते हैं जो भूत द्वारा बजाए जाए जाते हैं। बताया जाता है इसी मान्यता के चलते यहां पर कई लोगों ने रात में रुकने का प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हो सके।

संवाददाता रवि शंकर पाठक की रिपोर्ट के अनुसार यहां के निवासियों ने बताया कि काफी बार इस स्थान पर भूतेश्वर महादेव के लिए मंदिर बनाने के लिए सहयोग की बात की गई परंतु शायद भूतेश्वर अपने ऊपर छत का सहारा नहीं लेना चाहते। यही कारण है आज भी वे यहां ऐसा ही विराजमान हैं। कहा जाता है जिसने भी जब भी यहां छत बनाने का प्रयास किया उसको बहुत नुकसान उठाना पड़ा है।

कहा जाता है 5 साल पहले लोग दिन में भी भूतेश्वर महादेव के समीप जाने से डरते थे। मगर अब दिन में तो यहां भूतेश्वर महादेव के भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। किंतु सूरज ढलते ही दूर-दूर तक वहां कोई नहीं आता जाता।

Jyoti

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