इस मंदिर में देवी काली को लगता है मदिरा का भोग

Friday, Mar 22, 2019 - 11:41 AM (IST)

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हम आपको ऐसे कई मंदिरों के बारे में बता चुके हैं, जिनके जुड़े ऐसे तथ्य हैं जो हैरानी का कारण हैं। आज भी हम आपके लिए एक ऐसा ही मंदिर लेकर आएं हैं जिससे जुड़ी बातें जानकर आप शायद दंग रह जाएंगे। आप ने से आज तक देवी के ऐसे बहुत से मंदिरों के बारे में सुना होगा जहां उन्हें अनेकों तरह के भोग लगाए जाते हैं। पंरतु क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसा मंदिर हैं जहां देवी मां को मदिरा का भोग लगता है। जी हां, ये जानने के बाद शायद आपकी हैरानी की कोई सीमा नहीं रहेगी। तो चलिए और इंतज़ार न करते हुए आपको बताते हैं कि ये मंदिर कहां स्थित है।

हम बात कर रहे हैं राजस्थान के दुर्गा माता के प्राचीन भवाल माता मंदिर की, जिसे स्थानीय लोग भवाल माता को भुवाल व भंवाल कहते हैं। बता दें देवी का ये अद्भुत मंदिर नागौर जिले की रियां तहसील में स्थित है। इसके बारे में कहा जाता है कि ये अत्यंत अद्भुत और चमत्कारिक मंदिर है। लोक मान्यता है कि माता दुर्गा जिस भक्त पर प्रसन्न होती हैं, उससे ढाई प्याले मदिरा का भोग स्वीकार करती हैं। मंदिर में देवी के दो रूप विराजमान हैं, काली और ब्राह्मणी।

यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि माता रानी के ये दोनों रूप स्वयं प्रकट हुए थे। मान्यता है कि ब्राह्मणी देवी को मिठाई का भोग अर्पित किया जाता है तो वहीं काली मां को मदिरा का भोग लगाया जाता है।

जब भक्त मंदिर में मदिरा लेकर आते हैं तो पुजारी उससे चांदी का प्याला भरते हैं इसके बाद वह देवी के होठों तक प्याला ले जाते हैं। कहते हैं इस दौरान देवी के मुख की ओर देखना मना होता है। जिस भक्त पर माता रानी अधिक प्रसन्न होती हैं उसकी मदिरा स्वीकार कर लेती हैं और प्याले में एक बूंद भी मदिरा शेष नहीं रहती है।

पौराणिक किंवदंतियों के अनुसार मंदिर के स्तान पर प्राचीन सम में विरान इलाका हुआ करता था। विक्रम संवत 1050 में डाकुओं का एक दल राजा की सेना से घिर गया था तब उन्होंने देवी का स्मरण किया था तो देवी की कृपा से राजा की सेना की दृष्टि बदल गई थी और उन्हें सभी डाकू भेड़ बकरी की तरह नजर आने लगे थे।

डाकुओं ने प्राणों की करने पर देवी को प्रसाद के रूप में मदिरा अर्पित की थी क्योंकि उस समय उनके पास उन्हें भेंट करने के लिए और कुछ नहीं था। परंतु हैरान कर देने वाली बात ये है कि माता ने पूरा मदिरा का प्याला स्वीकार कर लिया था जिसे देखकर सब डाकू आश्चर्यचकित हो गए थे। कहा जाता है कि इसके बाद से डाकुओं ने डकैती छोड़ दी थी। इसके बाद से ही देवी को मदिरा अर्पित करने की ये परंपरा निभाई जा रही है।
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Jyoti

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