Bhanu Saptami 2022: भानु सप्तमी आज, इस उपाय से आएगी घर में सुख समृद्धि

Wednesday, May 04, 2022 - 01:45 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू धर्म ग्रंथों में जिस तरह देवी-देवता की पूजा होती है, ठीक उसी तरह इसमें हिंदू धर्म में ग्रहों की पूजा भी की जाती है। जिसके बारे में आज हम बात करने जा रहे हैं वो है ग्रहों के राजा सूर्य देव। धर्म शास्त्रों में भानु सप्तमी के दिन सूर्य देव की पूजा का विधान बताया गया है। इस सप्तमी के नाम से ही स्पष्ट होता है कि ये दिन संपूर्ण रूप से सूर्य देव को समर्पित है। बता दें यूं तो पौष मास में आने वाली भानु सप्तमी का अधिक महत्व है, परंतु प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष के रविवार को पड़ने वाली भानु सप्तमी के दिन भी विधि विधान से सूर्य देव की पूजा करना लाभदायक रहता है। धार्मिक व ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भानु सप्तमी का सबसे बड़ा महत्व यह है कि इस दिन जो लोग भगवान सूर्य की पूजा करते हैं उन्हें धन, दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, यह माना जाता है कि भानु सप्तमी का व्रत करने से व्यक्ति को अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं इसस जुड़ी खास बातें- 

क्यों मनाते हैं भानु सप्तमी
ऐसा माना जाता है कि भानु सप्तमी की पूर्व संध्या पर, सूर्य देवता ने सात घोड़ों के रथ पर अपनी पहली उपस्थिति दर्ज की। कई अन्य सप्तमी तिथियों में, भानु सप्तमी को बहुत शुभ माना जाता है और इसे पश्चिमी भारत और दक्षिणी भारत के क्षेत्रों में व्यापक रूप से मनाया जाता है। भानु सप्तमी के दिन भक्त सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए दित्य हृदय स्तोत्र का जाप करने के साथ-साथ महा-अभिषेक करके भगवान सूर्य की पूजा करते हैं। भक्त गरीबों को फल, वस्त्र आदि का दान भी करते हैं। इस सप्तमी को व्यापक रूप से सूर्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है।

भानु सप्तमी की पूजा विधि-
सबसे पहले इस दिन सूर्योदय से पूर्व गंगा नदी या किसी अन्य नदी में स्नान करना चाहिए।
अगर नदी में स्नान करना संभव नहीं है, तो भक्त देवी गंगा के मंत्रों का जाप कर सकते हैं और स्नान के लिए उपयोग किए जाने वाले पानी में उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
सूर्य को जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें लाल चंदन या कुमकुम, लाल फूल, चावल-गेहूं के दानें डालें तथा जल चढ़ाते समय "ॐ घृणि सूर्याय नम:" मंत्र का जाप करें।  
जल चढ़ाने के बाद गायत्री मंत्र और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना भी उचित होगा। 
फिर सूर्य की शुभ किरणों का स्वागत करने के लिए अपने घरों के सामने सुंदर और रंगीन रंगोली बनाएं। रंगोली के बीच में गाय के गोबर को जलाएं।
मिट्टी के बर्तन में दूध उबालें और उसे सूर्य देव की ओर मुख करके रखें। ऐसी मान्यता है कि जब दूध उबलता है तो वह सूर्य तक पहुंचता है।
इसके बाद, खीर को सूर्य देवता के भोग के रूप में उन्हें अर्पित करें और फिर इस प्रसाद को सभी को वितरित करें। 

सूर्य मंत्रों का जाप-
ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
ॐ सूर्याय नम:
ॐ घृणि सूर्याय नम:
 

Jyoti

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