Bhai Dooj 2020: भाई को तिलक लगाने के अलावा ये काम करने भी होते हैं ज़रूरी

Friday, Nov 06, 2020 - 04:27 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
अपनी वेबसाइट के माध्यम में हम आपको इतना तो पहले ही बता चुके हैं कि दिवाली का पर्व 5 दिवसीय त्यौहार भी कहलाता है, क्योंकि दिवाली के साथ-साथ इसके आगे पीछे 4 अन्य त्यौहार पड़ते हैं। इस सूची में धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा तथा आखिर में कार्तित मास की द्वितीया तिथि को भाई दूर का त्यौहार मनाया जाता है। सनातन धर्म में उपरोक्त बताए गए सभी पर्वों का अधिक महत्व माना जाता है। आगे की जानकारी में हम आपको यही बचाने वाले हैं कि इन त्यौहारों के दिन आपको क्या करना चाहिए। शास्त्रों में इन पर्वों से जुड़े 3 प्रमुख कार्य बताए हैं जिन्हें करना सनातन धर्म से संबंध रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति को करने चाहिए।

जैसे कि हमने आपको बताया कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। जिस दिन बहनें अपेने भाईयों का तिलक कर उनकी तरक्की की कामना करती है। धार्मिक पुराणों आदि में बताया जाता है असल में भाई दूज की पंरपरा मृत्यु के देवता यमराज द्वारा शुरू हुई थी। जिस कारण इस दिन यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भाई अपने बहनों के घर आकर तिलक लगवाते हैं और बहनें उनकी आरती आदि कर उन्हें अच्छे से भोजन करवाती है। कुछ जगहों पर भोजन खिलाने के बाद भाईयों को पान खिलाने की परंपरा प्रचलित है। ऐसी मान्यता है कि इससे बहनों का सौभग्य स-कुशल रहता है। बता दें यमुना जी यमराज की बहन थी, इसलिए कहा जाता है जो व्यक्ति इस दिन यमुना जी में स्नान करता है उसे यमलोक की यातनाओं से नहीं गुज़रना पड़ता है।

इसके अलावा इस दिन यम और यमुना जी की कथा सुनने का प्रचलन है। साथ ही सात यमराज और यमुना जी दोनों का पूजा भी किया जाता है। ज्योतिष मान्यता है कि इस यम के निमित्त धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज पांचों दिन घर आदि में दीए जलाए जाते हैं। इससे जुड़ी मान्यता के अनुसार ऐसा करने से अकाल मृत्यु नहीं आती है।

तो वहीं इस दिव यम देवता के मुंशी जी कहे जाने वाले, तथा कर्मों का लेखा-जोखा देखने वाले चित्रगुप्त जी की पूजा का भी विधान है। ऐसी कथाएं हैं इस दिन चित्रगुप्त लोगों को जीवन का बहीखाता लिखते हैं। जिस कारण यह दिन को वणिक वर्ग के लिए नवीन वर्ष का प्रारंभिक दिन कगलाता है। शास्त्रों में किए वर्णन के अनुसार इस दिन नवीन बहियों को 'श्री' लिखकर कार्य की शुरुआत की गई थी। इसलिए इस दिन चित्रगुप्त की पूजा के साथ-साथ लेखनी, दवात तथा पुस्तकों की भी पूजा की जाती है।

Jyoti

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