Bhai Dooj: जानें, कब मनाया जाएगा भाई दूज 26 या 27 अक्तूबर

punjabkesari.in Monday, Oct 24, 2022 - 02:07 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Bhai Dooj 2022: इस साल लगभग हर त्योहार में तिथियों, दिनों और उनके शुभ मुहूर्त के निर्धारण में कन्फयूजन, असमंजस और मतभेद होते रहे हैं। दिवाली के पंचपर्वों के अंतिम त्योहार, भाई दूज में भी वही स्थिति बन गई है कि भातृ द्वितीया का पर्व बुधवार को मनाएं या गुरुवार को ? जैसा कि पिछले लेखों में भी हमने कई बार कहा है कि हिन्दू धर्म बहुत लचीला है, सनातन है। अत: इसमें त्योहार के मर्म, उसमें निहित भावनाओं का पालन करते हुए आप अपनी सुविधा तथा शुभ समय के अनुसार मना सकते हैं। आधुनिक समय की दौड़ में संस्कारों और ज्योतिषीय गणनाओं दोनों का ही सम्मान करते हुए त्योहार मनाएं।

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Bhai Dooj 2022 Date And Time: हमारा भारतीय ज्योतिष चंद्रमा की गति पर आधारित है, जो 27 घंटों में राशि बदल लेता है। इसके कारण चंद्र से संबंधित तिथि का समय, हर त्योहार में आगे पीछे हो जाता है। कई बार कुछ त्योहारों का निर्णय सूर्य उदय के समय और दिन से किया जाता है और उत्सव दो दिन के हो जाते हैं। इसी आधार पर इस बार आप, भाई-बहन का टीकोत्सव,  26 तारीख बुधवार और 27 गुरुवार दोनों दिन अपनी सुविधानुसार मना सकते हैं। 

Bhai Dooj Puja Muhurat 26 तारीख बुधवार- दोपहर 12ः14 से 12ः47 तक
27 तारीख, गुरुवार- सुबह 11ः07 से दोपहर 12ः47 तक

भाई दूज की परंपरागत जानकारी भी होनी चाहिए। हमारे देश में पारिवारिक एवं सामाजिक संबंधों को अत्यंत महत्वपूर्ण एवं स्थाई माना गया है इसीलिए हमारे हर त्योहार-पर्व रोजाना कोई न कोई संदेश लेकर आते हैं। जहां होली व  दिवाली समाज को बांधते हैं, वहीं रक्षा बन्धन और भाई दूज परिवारों को एक सूत्र में बांधे रखते हैं।

आधुनिक युग में भाई-बहन एक दूसरे की पूर्ण सुरक्षा का भी ख्याल रखें। नारी सम्मान हो। समाज में महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों में कमी आएगी। भाई-बहन को स्नेह, प्रेम, कर्तव्य एवं दायित्व में बांधने वाला राखी का पर्व जब भाई का मुंह मीठा करा के और कलाई पर धागा बांध कर मनाया जाता है तो रिश्तों की खुशबू सदा के लिए बनी रहती है और संबंधों की डोर में मिठास का एहसास आजीवन परिलक्षित होता रहता है। फिर इन संबंधों को ताजा करने का अवसर आता है, भईया दूज पर। राखी पर बहन, भाई के घर राखी बांधने जाती है और भैया दूज पर भाई , बहन के घर तिलक करवाने जाता है। ये दोनों त्योहार, भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर हैं, जो आधुनिक युग में और भी महत्वपूर्ण एवं आवश्यक हो गए हैं। 

भाई दूज (यम द्वितीया) कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाई जाती है। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष में द्वितीया तिथि जब अपराह्न (दिन का चौथा भाग) के समय आये तो उस दिन भाई दूज मनाई जाती है।

यदि दोनों दिन अपराह्न के समय द्वितीया तिथि लग जाती है तो भाई दूज अगले दिन मनाने का विधान है। इसके अलावा यदि दोनों दिन अपराह्न के समय द्वितीया तिथि नहीं आती है तो भी भाई दूज अगले दिन मनाई जानी चाहिए। ये तीनों मत अधिक प्रचलित और मान्य है।

एक अन्य मत के अनुसार अगर कार्तिक शुक्ल पक्ष में जब मध्याह्न (दिन का तीसरा भाग) के समय प्रतिपदा तिथि शुरू हो तो भाई दूज मनाना चाहिए। हालांकि यह मत तर्क संगत नहीं बताया जाता है। भाई दूज के दिन दोपहर के बाद ही भाई को तिलक व भोजन कराना चाहिए। इसके अलावा यम पूजन भी दोपहर के बाद किया जाना चाहिए। 

Bhai Dooj 2022 Date भाई दूज या यम द्वितीया पर क्या करें ?  
सुविधानुसार, गंगा या यमुना में स्नान कर सकते हैं। भाई की दीर्घायु के लिए पूजा-अर्चना प्रार्थना करें। भाई-बहन के यहां जाए और तिलक कराए।  भ्राता श्री, बहना के यहां ही भोजन करे। इस परंपरा से आपसी सौहार्द्र बढ़ता है। आपसी विवादों तथा वैमनस्य में कमी आती है। भाई कोई शगुन, आभूषण या गीफट बदले में दे। बहन भी भाई को मिठाई और एक खोपा देकर विदा करे। 

शास्त्रों के अनुसार, यम द्वितीया यानी भाई दूज के दिन यमराज अपनी बहन के घर दोपहर के समय आए थे और बहन की पूजा स्वीकार करके उनके घर भोजन किया था। वरदान में यमराज ने यमुना को कहा था कि भाई दूज यानी यम द्वितीया के दिन जो भाई अपनी बहनों के घर आकर उनकी पूजा स्वीकार करेंगे और उनके घर भोजन करेंगे उनका अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा।

Bhai Dooj Puja भाई दूज के दिन किसकी करें पूजा
शास्त्रों के अनुसार, भाई दूज के दिन यमराज, यमदूज और चित्रगुप्त की पूजा करनी चाहिए। इनके नाम से अर्घ्य और दीपदान करना चाहिए।

पूजा सामग्री
कुमकुम, पान, सुपारी, फूल, कलावा, मिठाई, सूखा नारियल और अक्षत आदि। तिलक करते वक्त इन चीजों को पूजा की थाली में रखना न भूलें।

Bhai Dooj katha क्यों मनाया जाता है भाई दूज ?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और उनकी पत्नी छाया की दो संताने थीं, यमराज और यमुना। दोनों में बहुत प्रेम था। बहन यमुना हमेशा चाहती थीं कि यमराज उनके घर भोजन करने आया करें लेकिन यमराज उनकी विनती को टाल देते थे। एक बार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि पर दोपहर में यमराज उनके घर पहुंचे। यमुना अपने घर के दरवाजे पर भाई को देखकर बहुत खुश हुईं। इसके बाद यमुना ने मन से भाई यमराज को भोजन करवाया। बहन का स्नेह देखकर यमदेव ने उनसे वरदान मांगने को कहा।

इस पर उन्होंने यमराज से वचन मांगा कि वो हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भोजन करने आएं। साथ ही मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई का आदर-सत्कार के साथ टीका करें, उनमें यमराज का भय न हो। तब यमराज ने बहन को यह वरदान देते हुआ कहा कि आगे से ऐसा ही होगा। तब से यही परंपरा चली आ रही है इसलिए भैयादूज वाले दिन यमराज और यमुना का पूजन किया जाता है।

ज्योतिर्विद मदन गुप्ता सपाटू

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Content Writer

Niyati Bhandari

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