धार्मिक कथा- यहां जानें भगवान दत्तात्रेय से जुड़ी खास बातें

Thursday, Dec 17, 2020 - 07:12 PM (IST)

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हमारे शास्त्रों में देवी-देवताओं के कई रूपों के बारे में बताया गया है। अगर इनके प्रकार की बात करें तो कहा जाता है कुल 33 कोटि प्रकार के देवी-देवता हैं। इन सभी का सनातन धर्म में अधिक महत्व है। इनमें से एक है भगवान दत्तात्रेय। यूं तो कहा जाता है प्रत्येक देवी-देवता की ही पूजा जातक को उनके समीप जाता है। मगर इनकी पूजा करने के साथ-साथ व्यक्ति को इनके बारे में जानकारी भी होनी आवश्यक है। कहा जाता है इससे न केवल उनके बारे में जाना जाता है बल्कि साथ ही साथ मानव को जीवन जीने की कला भी आती है। आज हम आपको बताने वाले हैं भगवान दत्तात्रेय के बारे में। अगर दत्त महात्मय ग्रंथ की बात करें तो ईश्वर का चैतन्य स्वरूप सर्वत्र व्याप्त है। इसमें वर्णन किया गया है कि जिस तरह नदियां अलग-अलग दिशाओं से बहकर समुद्र में मिलती है उसी तरह हम चाहे अलग-अलग नाम से ईश्वर की पूजा करें किंतु ईश्वरीय तत्व एक ही है। 

कई बार मानव को लगता है उसके लिए ईश्वर को पाना उसके बस की बात नहीं है। परंतु असल में कहा जाता है कि केवल मनु्ष्य के पास ही वह समझ है जिससे वे ईश्वर तक पहुंच सकता है। इसलिए मानव जीवन को हर क्षण ईश्वर को पाने का प्रयत्न करते रहना चाहिए। 

भगवान दत्तात्रेय का स्वरूप हमें क्या कहता है, आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ ऐसी खास बातें- 

धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि महागुरु दत्तात्रेय ब्रह्मा, विष्णु, महेश के शक्तिपुंज हैं। वस्तुतः इनके प्रत्येक अवतार का एक विशिष्ट प्रायोजन होता है। महागुरु दत्तात्रेय के अवतार में हमें असाधारण वैशिष्ट्य का दर्शन होता है।

इनके बारे में जितना वर्णन मिलता है उसके अनुसार दत्तात्रेय समर्थगामी हैं। कहा जाता है वे अपने भक्त के स्मरण करने पर तत्काल सहायता करने के लिए किसी भी रूप में उपस्थित हो जाते हैं। 

अपने प्रिय भक्तों को योग व मोक्ष देने में महागुरु दत्तात्रेय समर्थ हैं।

कहा जाता है चूंकि भगवान दत्तात्रेय ने औदुंबर के वृक्ष के नीचे निवास किया था। अतः उनको औदुंबर का वृक्ष अतिप्रिय है। यही कारण है कि वह सदैव उसके नीचे ही निवास करते हैं।

जो व्यक्ति भगवान दत्तात्रेय के चरित्रों का परायण करता है, वे अपने सच्चे भक्तों की आस्था से बढ़कर उनकी इच्छाओं की पूर्ति करने के लिए दौड़े चले आते हैं।

दत्तात्रेय योगियों के परम होने के कारण सर्वत्र गुरुदेव कहे जाते हैं। योगियों के अनुसार दत्त महागुरु प्रातःकाल ब्रह्मा के रूप में, मध्याह्न में विष्णु जी के रूप में एवं सायंकाल में भगवान शंकर के रूप में दर्शन देते हैं।

इनकी पूजा में होने वाली आरती और वेदमंत्रों के शुद्ध उच्चारण से आनंद मंगल और अंतःकरण पूर्णतः शुद्ध हो जाता है।

Jyoti

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