Bhagavad Gita: किसी के लिए शोक न करो

Sunday, Jan 10, 2021 - 11:28 PM (IST)

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श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप व्याख्याकार : स्वामी प्रभुपाद

साक्षात स्पष्ट ज्ञान का उदाहरण भगवद्गीता, शोक करने की कोई बात नहीं

न त्वेवाहं जातु नासं न त्वं नेमे जनाथिपा:। न चैव न भविष्याम: सर्वे वयमत: परम।।12।।


अनुवाद : ऐसा कभी नहीं हुआ कि मैं न रहा होऊं या तुम न रहे हो अथवा ये समस्त राजा न रहे हों, और न ऐसा है कि भविष्य में हम लोग नहीं रहेंगे।


तात्पर्य : वेदों में, कठोपनिषद में तथा श्वेताश्वतर उपनिषद में भी कहा गया है कि जो श्री भगवान असंख्य जीवों के कर्म तथा कर्मफल के अनुसार उनकी अपनी-अपनी परिस्थितियों में पालक हैं, वही भगवान अंश रूप में हर जीव के हृदय में वास कर रहे हैं। केवल साधु पुरुष जो एक ही ईश्वर को भीतर बाहर देख सकते हैं, पूर्ण एवं शाश्वत शांति प्राप्त कर पाते हैं।

जो वैदिक ज्ञान अर्जुन को प्रदान किया गया वही विश्व के उन समस्त पुरुषों को प्रदान किया जाता है जो विद्वान तो हैं किन्तु जिनकी ज्ञानराशि न्यून है। भगवान यह स्पष्ट करते हैं कि वे स्वयं, अर्जुन तथा युद्धभूमि में एकत्र सारे राजा शाश्वत प्राणी हैं और इन जीवों की बद्ध तथा मुक्त अवस्थाओं में भगवान ही एकमात्र उनके पालक हैं। अत: किसी के लिए शोक करने की कोई बात नहीं है।

 (क्रमश:)

Niyati Bhandari

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