Kundli Tv- सुहागिन महिला को क्यों पहनाई जाती हैं कांच की चूड़ियां ?

Friday, Dec 14, 2018 - 04:51 PM (IST)

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प्राचीनकाल से चूड़ियां महिलाओं के श्रृंगार का जरूरी अंग रही हैं। नवजात बच्ची से लेकर बड़ी उम्र की महिला के द्वारा इन्हें धारण किया जाता है। आज मार्केट में विभिन्न धातुओं की चूड़ियां उपलब्ध हैं लेकिन कांच की चूड़ी का स्थान जो आज से वर्षों पूर्व था वो आज भी है। हिन्दू संप्रदाय में इन्हें सात्विक माना जाता है। श्रृंगार के लिए तो किसी भी धातु की चूड़ियां पहनी जाती हैं लेकिन शुभ और पवित्र काम में कांच की चूड़ी ही पहनी जाती है। आपको जानकर हैरानी होगी यह केवल पहनने वाली महिला को ही नहीं बल्कि सारे परिवार को प्रभावित करती हैं। इसकी मधुर आवाज से घर में स्थित नकारात्मकता का नाश होता है।

विज्ञान और वास्तुशास्त्र के अनुसार जिस भी धातु से बनी चूड़ियां महिलाएं पहनती हैं, उसका प्रभाव न केवल उनके स्वास्थ्य पर बल्कि उनके आसपास के वातावरण पर भी पड़ता है। कहते हैं
प्लास्टिक से बनी चूड़ियों में रज-तम का प्रभाव होता है। वायु-मंडल में मौजूद जितनी भी नेगेटिविटी होती है, उसे ये चुंबक की भांति अपनी ओर खींच लेती हैं। चिकित्सक मानते हैं कि जो महिलाएं प्लास्टिक से बनी चूड़ियां पहनती हैं, उनके समस्त शारीरिक अंगों पर एक अलग सा प्रैशर बनता है। केवल 2-3 चूड़ियां पहन लेने से मानसिक और शारीरिक ऊर्जा में बढ़ौतरी होती है। अधिक चूड़िया पहनने से हर तरह के बुरे प्रभाव से रक्षा होती है।

विज्ञान कहता है, जो महिला अपने दोनों हाथों में बहुत सारी चूड़ियां धारण करती हैं। उनमें एक विशेष तरह की ऊर्जा का प्रवाह होता है, जिसे धार्मिक संदर्भ से ‘मरक’ कहते हैं। ये ऊर्जा महिला का सुरक्षा कवच बन कर सदा उसके अंग-संग रहती हैं।

उम्रदराज महिलाएं चूड़ियों के टूटने का सीधा संबंध अपशकुन से जोड़ती हैं। साइंस को मानने वाले कहते हैं ये महिलाओं के आसपास स्थित निष्क्रिय ऊर्जा का परिणाम है। ऊपरी शक्तियां महिलाओं की चूड़ियों पर सबसे पहला प्रहार करती हैं। जिससे वो टूट जाती हैं या फिर उनमें दरार आ जाती है। टूटी हुई चूड़ियां कभी न पहनें, ये सेहत पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।
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Niyati Bhandari

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