इनके चरण धोकर पीने से मिलते हैं ढेरों लाभ

Tuesday, May 16, 2017 - 11:48 AM (IST)

पुरातन भारतीय संस्कृति के अनुसार, जब कोई मेहमान घर पर आता था तो मेजबान उनके पैर धुलवाते थे। फलस्वरूप उन्हें आशीष प्राप्त होता था। कहा जाता है की देवी-देवताओं के चरणों का अमृत ग्रहण करने से शारीरिक विकारों से मुक्ति मिलती है। श्रीमद् भागवत के अनुसार, जिस समय पांडवों ने इंद्रप्रस्थ की स्थापना करी तो वहां विशाल यज्ञ का आयोजन किया। सभी को विभिन्न कार्यभार सौंपे गए। अर्जुन को गुरुजनों की सेवा करने का कार्य मिला। श्री कृष्ण ने स्वयं आगे बढ़कर अतिथियों के पांव पखारने का कार्यभार संभाला। सनातन धर्म में जब भी कोई श्रद्धालु मंदिर जाता है तो भगवान के दर्शनों के उपरांत मंदिर के पुजारी उसे चरणामृत या पंचामृत देते हैं। श्रद्धालु शांत भाव से भक्ति भावना के साथ दाएं हाथ से उसे ग्रहण करते हैं। 


तुलसीदास कृत रामायण में वर्णित है जब प्रभु राम को वनवास हुआ तो अयोध्या से वन को जाने के लिए रास्ते में नदी को पार करना था तो उन्होंने केवट से प्रार्थना की  कि उन्हें गंगा नदी पार करवा दें। उस केवट ने कहा था कि...


पद पखारि जलुपान करि आपु सहित परिवार।
पितर पारु प्रभुहि पुनि मुदित गयउ लेइ पार।।


अर्थात् भगवान श्रीराम के चरण धोकर उसे चरणामृत के रूप में स्वीकार कर केवट न केवल स्वयं भव-बाधा से पार हो गया बल्कि उसने अपने पूर्वजों को भी तार दिया।


स्वयं के पैर धोने से भी मिलते हैं ढेरों लाभ-
बाहर से घर में प्रवेश करने पर पैर गंदगी और कीटाणु से युक्त होते हैं, जो स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं इसलिए घर आने पर सर्वप्रथम पैर धोने चाहिए।


मंदिर में देवी-देवताओं के दर्शन करने से पूर्व हाथ, पैर और मुंह को स्वच्छ कर लेना चाहिए। ऐसा करने से मानसिक शांति का एहसास होता है और सकारात्मकता में बढ़ौतरी होती है।


भोजन के पूर्व हाथ-पैर और मुख को अच्छी तरह से धो लेना चाहिए। इसके बाद ही भोजन करना चाहिए। भीगे हुए पैरों के साथ भोजन ग्रहण करना बहुत शुभ माना जाता है। भीगे हुए पैर शरीर के तापमान को नियंत्रित करते हैं, इससे पाचनतंत्र ठीक रहता है और भोजन आसानी से पचता है।


ध्यान लगाने से पूर्व पैर धोने चाहिए, ऐसा करने से नकारात्मक विचार कोसों दूर रहते हैं। 


सोने से पहले पैर धो कर सोना चाहिए।

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