विज्ञान ने भी माना इस विधि से घर में आती है Positivity

Wednesday, Jun 29, 2022 - 09:50 AM (IST)

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Benefits of Hawan: परम पवित्र भारत भूमि के ऋषि-मुनि आखिरकार सम्पूर्ण विश्व के लिए वरदान एवं वैज्ञानिक साबित होते नजर आ रहे हैं। अनादि काल से ही हमारे ऋषि-मुनियों के दैनिक जीवन से जुड़ी, युगों पुरानी सनातन हवन अथवा यज्ञ पद्धति पूरी तरह से वैज्ञानिकता पर आधारित है। सनातन संस्कृति में पूजा का सबसे अच्छा मार्ग हवन और यज्ञ माना जाता है।

 

What is the science behind havan: इस विधि से ही हमारे ब्रह्मज्ञानी ऋषि-मुनि, ईश्वर को रिझाते आए हैं। यज्ञ को अग्निहोत्र कहा जाता है और अग्नि ही यज्ञ का प्रधान देवता है इसीलिए हमारे द्वारा हवन में डाली गई आहूतियां पवित्र अग्नि के माध्यम से ही हमारे आराध्य देवी-देवताओं तक पहुंच जाती हैं। वैसे यज्ञ तथा हवन करने की प्राचीन सनातन संस्कृति के साक्ष्य पुरातन सभ्यता के अवशेषों विशेषकर कालीबंगा से भी प्राप्त होते हैं।

Is Hawan an antidote to pollution: रामायण और महाभारत जैसे पवित्र ग्रंथों में भी पुत्रेष्टि, अश्वमेध और राजसूय आदि विशेष यज्ञों का उल्लेख किया गया है। हवन तथा यज्ञ में सामग्री के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की लकड़ियो के प्रयोग का विशेष महत्व होता है तथा हवन में प्रयोग की जाने वाली लकड़ी को समिधा कहा जाता है। नवग्रहों की शांति के लिए भिन्न-भिन्न काष्ठीय एवं शाकीय पौधों का भी समिधा के रूप में प्रयोग किया जाता है।

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Scientific benefits of havan: अनादि काल से चली आ रही इस हवन एवं यज्ञ पद्धति को आज के वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार देखा जाए तो जहां पर भी हवन किया जाता है, उस स्थान के आसपास रोग पैदा करने वाले करोड़ों की संख्या में कीटाणु व विषाणु शीघ्र ही नष्ट हो जाते हैं, क्योंकि अग्नि में मूलत: शुद्धिकरण का गुण होता है, जिसके कारण वह अपनी ऊष्णता से समस्त दोषों व रोगों का नाश करती है। हवन की वैज्ञानिकता जानने के लिए फ्रांस के ट्रेले नामक वैज्ञानिक ने रिसर्च करके पाया कि आम की लकड़ी को जलाकर हवन करने से ‘फार्मिक एल्डिहाइड’ नामक गैस उत्पन्न होती है जिससे खतरनाक बैक्टीरिया  तथा वायुमंडल में फैले जीवाणु और विषाणु खुद ही मर जाते हैं।

 

What is hawan: राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के वैज्ञानिकों ने अपनी एक रिसर्च में हवन या यज्ञ करने की शास्त्रीय विधि का प्रयोग करके पाया है कि आम की लकड़ी के साथ यदि शुद्ध हवन सामग्री का प्रयोग किया जाए तो एक घंटे के भीतर ही हवन कक्ष में उपस्थित जीवाणु और विषाणु का स्तर 94 प्रतिशत कम हो जाता है। चीन, जापान, जर्मनी और यूनान आदि देशों में भी अग्नि को पवित्र माना जाता है। हवन से न सिर्फ भगवान खुश होते हैं, घर तथा वायुमंडल की शुद्धि भी हो जाती है।

 

Niyati Bhandari

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