मार्गशीर्ष माह में शंखों की पूजा का बड़ा है महत्व, आप भी घर लाएं ये शंख!

Saturday, Dec 05, 2020 - 07:35 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
अपनी वेबसाइट के माध्यम से हम आपको पहले ही ये बता चुके हैं मार्गशीर्ष मास में खास रूप से शंखों की पूजा की जाती है। इस कड़ी में हम आपको ये भी बता चुके हैं कि इस दौरान कौन-कौन से शंखों की पूजा-अर्चना की जा सकती है। आज भी हम आपको इसी से संबंधित आगे की जानकारी बताने वाले हैं। दरअसल शास्त्रों के साथ-साथ वास्तु शास्त्र में बताय गया है कि शंखों का मानव जीवन में बहुत महत्व होता है। मगर इनका शुभ प्रभाव पाने के लिए काफी बातों का ध्यान भी रखना होता है। तो आईए आज आपको बताते हैं कुछ खास शंखो के बारे में, साथ ही साथ जानेंगे कि इनके क्या फायदे होते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें समुद्र मंथन के समय देव- दानव संघर्ष के दौरान समुद्र से 14 अनमोल रत्नों की प्राप्ति हुई। जिनमें आठवें रत्न के रूप में शंखों का जन्म हुआ। 

धार्मिक किंवदंतियां की मानें तो कि शंख को समुद्रज, कंबु, सुनाद, पावनध्वनि, कंबु, कंबोज, अब्ज, त्रिरेख, जलज, अर्णोभव, महानाद, मुखर, दीर्घनाद, बहुनाद, हरिप्रिय, सुरचर, जलोद्भव, विष्णुप्रिय, धवल, स्त्रीविभूषण, पाञ्चजन्य, अर्णवभव आदि के नामों से भी जाना जाता है। तो वहीं वास्तु शास्त्र में ये कहा जाता है कि शंख न केवल व्यक्ति को स्वस्थ काया देते हैं बल्कि जातक को माया भी देते हैं, बता दें माया से यहां हमारा मतलब धन से है। 

सनातन धर्म से जुड़े ग्रंथों में अच्छे से वर्णन किया गया है कि किसी भी व्यक्ति को अपने घर या मंदिर में कितने शंख और कौन से रखने चाहिए। क्योंकि शिवलिंग और शालिग्राम की तरह ही शंखों की भी कई किस्में होती हैं। इतना ही नहीं है इन शंखों का अपना अलग महत्व होता है तथा ये विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए इस्तेमाल किए जाते है। 

यहां जानें हीरा, मणि पुष्पक और सुघोषमणि शंख से मिलने वाले लाभ- 
हीरा शंख: मान्यताओं के अनुसार इसे पहाड़ी शंख भी कहा जाता है। जो दक्षिणावर्ती शंख की तरह ही खुलता है। ज्यादातर इस प्रकार के शंख पहाड़ों में ही पाए जाते हैं। इसकी खोल पर एक ऐसा पदार्थ लगा होता है, जो स्पार्कलिंग क्रिस्टल के समान होता है जिस कारण इसे हीरा शंख भी कहा जाता है और इसे बहुत ही बहूमुल्य भी माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तांत्रिक लोग खासतौर पर देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए इस तरह के शंख का इस्तेमाल करते हैं।

मणि पुष्पक और सुघोषमणि शंख: महाभारत काल के पात्र व पांडवों में शामिल नकुल के पास सुघोष और सहदेव के पास मणि पुष्पक शंख होने की मान्यता मानी जाती है। कहा जाता है मणि पुष्पक शंख की पूजा-अर्चना से जातक को यश कीर्ति व मान-सम्मान प्राप्त होता है। तो वहीं सुघोषमणि शंख की पूजा से जातक को उच्च पद की प्राप्ति होती है। 

Jyoti

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