Mystery of om: ‘ओम’ शब्द के प्रयोग से जीती जा सकती है हर जंग

Saturday, Jul 02, 2022 - 09:51 AM (IST)

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Om mantra: भद्रं श्लोक श्रुयासम् (अथर्ववेद 16.2/4) (अर्थात मैं सदा भला शब्द ही सुना करूं।)

एक बार असुरों ने इंद्रपुरी को घेर लिया। उनके पास बड़ी सुसज्जित सेना थी, हर प्रकार के हथियारों से सज्जित होकर उन्होंने युद्ध के लिए देवराज इंद्र को ललकारा, ‘‘हमारा युद्ध में सामना करो और यदि हमसे डरते हो तो हार स्वीकार कर इंद्रपुरी हमारे हवाले करो।’’

विशाल असुर सेना को देख महाप्रतापी इंद्र कांप उठे और सोचने लगे कि बहुसंख्यक शत्रु के सामने मुट्ठी भर देवता भला क्या कर सकेंगे! मेरी पराजय निश्चित है। इस तरह तो मेरी इंद्रपुरी ही छिन जाएंगी। अब तो किसी बाहरी दैवी शक्ति से ही सहायता लेनी चाहिए। 
अब देवराज इंद्र के सामने प्रश्न था कि असुर कैसे मारे जाएं। भगवान ने उन्हें सलाह दी, ‘‘केवल शब्द शक्ति के देवता ‘ओम’ की सहायता से ही आप सब में नवप्राण और नव उत्साह का संचार संभव है। उनकी कृपा से मृत शरीर में नई शक्ति का संचार होता है। आप उनके पास जाकर उनसे शब्द शक्ति ग्रहण कीजिए। भले शब्दों में भी प्रचंड शक्ति भरी हुई है, उसकी साधना कीजिए।’’

महाराज इंद्र को कुछ धैर्य हुआ, ढूंढते-ढूंढते वह ॐ (ओम) देव के पास पहुंचे। धैर्य की साक्षात मूर्ति ॐ के दर्शन मात्र से उनमें शक्ति का संचार हो गया। 

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इंद्र ने ॐ से कहा, ‘‘हे भगवान, शक्ति के शक्ति स्वरूप ॐ, आप शब्द शक्ति के देवता हैं हम आपको अपना नेता बनाकर असुरों की सेना से युद्ध करना चाहते हैं।’’ 

‘‘आप के नाम के उच्चारण मात्र से हम देवताओं में नई शक्ति और नई स्फूर्ति आएगी। आपके नाम के प्रत्येक स्वर में प्रचंड शक्ति भरी हुई है। इस संकट के समय में हमारे नेत्र आप पर लगे हुए हैं, हे स्वर देवता! हमारी सहायता कीजिए।’’

ॐ  (ओम) सोचते रहे। देवताओं पर बड़ा संकट था, उन्हें वीरता, साहस, धैर्य, उत्साहवर्धक शब्दों की आवश्यकता थी। उन्हें देवताओं पर दया आ गई और वह निम्र शर्त पर देवताओं को सहायता देने को तैयार हो गए। 

न मामनिरयित्वा ब्राह्मणा ब्रह्मबदेयुर्यदि तत्स्यादिति। (गोपद-ब्रा.1-1/23) (अर्थात ‘मुझ’ ॐ (ओम) को पहले पढ़े बिना ब्राह्मण वेदोच्चारण न करे। 

‘‘मेरे नाम का उच्चारण सबसे पहले किया जाया करे। यदि कोई ब्राह्मण मेरा नाम लिए बिना वेद पाठ कर दे तो वह देवताओं द्वारा स्वीकार न किया जाए।)’’

चूंकि ओम (ॐ) के बिना असुर जीते नहीं जा सकते थे अत: देवताओं ने उनकी यह शर्त मान ली। उन्होंने देवताओं की सेना का संचालन किया। पूरी सेना के सामने वह खड़े थे। 

‘‘वह बोले, ‘‘मेरा नाम उच्चारण करते-करते पूरे धैर्य के साथ आगे बढ़िए। आप अपनी शक्ति को पहचान लीजिए। आपमें दैवी शक्तियां सो रही हैं। मेरा नाम लेने से वे खुल जाएंगी।’’

देवताओं की सेना आगे बढ़ी। घोर युद्ध हुआ देवताओं की सेना विश्वास भरे उच्च स्वर में ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ  का उच्चारण कर रही थी। उस शब्द की प्रचंड शक्ति से पूरी सेना में नई शक्ति और जोश उमड़ रहा था। 

वे नए उत्साह से दानवों की सेना को काट रहे थे। थकी हुई सेना जैसे ही ॐ शब्द का उच्चारण करती उसे नई शक्ति मिल जाती। 
इस शब्द का चमत्कार संजीवनी शक्ति के समान जीवन और प्राणदायी था। युद्ध समाप्त हुआ। ॐ की शब्द शक्ति के कारण देवता विजयी हुए थे। सब देवताओं ने ॐ का जय-जयकार किया। 

तब से ॐ अमर हो गए। थके हारे जीवन में निराश, उत्साहहीन व्यक्तियों को जीवन में नव जीवन, नई प्रेरणा और नई शक्ति देने के लिए ॐ शब्द का प्रयोग प्रचलित हुआ। संकट में विपत्ति में युग-युग से जनता ने ॐ शब्द के उच्चारण तथा श्रवण से आत्मविश्वास प्राप्त किया है। 

हर एक विपत्ति में मनुष्य को शक्ति और नया साहस देने वाला यह अद्भुत चमत्कारी ॐ शब्द है। ॐ ब्रह्म बीज है। त्रिविध आकार रूपी ब्रह्म का संक्षिप्त रूप है। इसकी ध्वनि से ऐसा सूक्ष्म कम्पन उत्पन्न होता है कि चारों ओर शक्ति एवं साहस की लहरें फैलती हैं। अत: दिन में कई बार इसका प्रयोग करने से, बच्चों के नाम के रूप में इसे रख लेने से दैवी शक्ति का प्रादुर्भाव होता है।

 

Niyati Bhandari

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