सर्वपितृ अमावस्या: श्राद्ध का भोजन करते समय ब्राह्मण पल्ले बांध लें ये बात

Wednesday, Sep 25, 2019 - 05:57 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
श्राद्ध में पिंडदान पितृ तर्पण आदि के अलावा ब्राह्मणों को भोजन करवाने का भी अधिक महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार पिंडदान के अलावा ब्राह्मणों को पूरे आदर-सत्कार के साथ भोजन करवाने से पितरों की आत्मा शांति मिलती है। साथ ही साथ ही उनको पितृलोक की भी प्राप्ति है। मगर बहुत कम ब्राह्मण होते हैं जो इस दौरान बताए गए नियमों आदि का पालन करते हैं। क्योंकि कहा जाता है पितृ पक्ष एक बहुत ही पावन ससय माना जाता है जिसमें लोग अपने पूर्वजों की तृप्ति के लिए हर प्रकार का धार्मिक कर्म कांड करते हैं। मगर अगर इस दौरान ब्राह्मणों द्वारा किसी भी तरह की भूल चूक होती है तो इसका दंड उनके साथ जिसके श्राद्ध का भोजन होता है उसे भी मिलता है। यानि उनकी आत्मा अतृप्ति ही रह जाती है। शास्त्रों के अनुसार ब्राह्मणों के माध्यम से ही देवता हव्य और पितृ कव्य ग्रहण करते हैं। इसलिए ब्राह्मणों को कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए। श्राद्ध पक्ष व सर्वपितृ अमावस्या के दिन ब्राह्मण भोजन के कुछ विशेष नियम बताए गए हैं, जिनके अनुसार श्राद्ध का भोजन करने वाले ब्राह्मण को कुछ नियमों का पालन करना बहुत जरूरी होता है।

आइए जानते हैं उन नियमों के बारे में...
ब्राह्मण को श्राद्ध भोजन करने वाले दिन किसी प्रकार को कोई दान नहीं देना चाहिए।

श्राद्ध का भोजन चांदी, कांसे या पलाश के पत्तों पर करवाना चाहिए। इस बाक का ध्यान रखें कि कभी भी बाह्मण लोहे व मिट्टी के पात्रों का निषेध माना गया है।

श्राद्ध का भोजन ग्रहण करना वाला ब्राह्मण संध्या ज़रूर करें। ब्राह्मण श्रो त्रिय होना चाहिए जो प्रतिदिन गायत्री का जप करें।

इस बात का भी ध्यान रखें कि श्राद्ध में भोजन करते समय ब्राह्मण मौन रहकर भोजन करें। न तो श्राद्ध के भोजन की प्रशंसा करें न ही निंदा करें।

इसके अलावा भोजन करवाने वाले लोगों को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ब्राह्मण से कभी ये न पूछें कि भोजन अच्छा है या बुरा ।

इसके अलावा ब्राह्मण को एक दिन में दो या तीन जगहों पर श्राद्ध का भोजन नहीं करना चाहिए।

Jyoti

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