नवरात्रों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले ज़रूर जाने लें ये नियम

punjabkesari.in Thursday, Sep 26, 2019 - 05:14 PM (IST)

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29 सितंबर से इस साल के शारदीय नवरात्र आरंभ हो रहे हैं। हिंदू धर्म में यूं कुल 4 बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। जिनमें से आश्विन मास में पड़ने वाले शारदीय नवरात्रि का सबसे अधिक महत्व माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के ये 9 दिन देवी की कृपा पाने के लिए सबसे उत्तम होते हैं। बता दें इस बार आश्विन मास के ये नवरात्रि 29 सितंबर से शुरू होकर 7 अक्टूबर तक नवमी के दिन समाप्त होंगे।

अब जैसे कि ऊपर आपने पढ़ा कि नवरात्रि शुरू हो रहे हैं तो ज़ाहिर सी बात है कि इसके शुरू होते ही हर जगह देवी दुर्गा के उपासना आदि प्रांरभ हो जाती है। इन नौ दिनो में बहुत से लोग श्रीदुर्गा सप्तशती का पाठ भी करते हैं क्योंकि कहा जाता है इसे करने से सभी तरह की कामनाओं को पूर्ति होती है। बता दें सप्तशती को चारों वेदों की तरह ही अनादि ग्रंथ माना जाता है। इसमें में मां के चरित्र की गाथा गाई है।
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मान्यता है जो जातक नौ दिनों तक श्रद्धा पूर्वक शुद्ध चित्त होकर श्रीदुर्गा सप्तशती पाठ के नियमों का पालन करते हुए पाठ करता है उसके भीषण से भीषण संकट भी मां दुर्गा दूर कर देती हैं।

बता दें श्रीदुर्गा सप्तशती ग्रंथ में कुल सात सौ श्लोक हैं, तीन भाग में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती नाम से ती चरित्रों का वर्णन हैं। प्रथम चरित्र में केवल पहला अध्याय, मध्यम चरित्र में दूसरा, तीसरा और चौथा अध्याय और बाकी सभी अध्यायों को उत्तम चरित्र में रखे गए हैं।

इन नियमों के साथ करें श्रीदुर्गा सप्तशती का पाठ
सबसे पहले, गणेश पूजन, कलश पूजन,नवग्रह पूजन और ज्योति पूजन करें। इसके बाद श्रीदुर्गा सप्तशती ग्रंथ को लाल कपड़ा बिछाकर शुद्ध आसन पर रखें।

माथे पर भस्म, चंदन या रोली लगाकर पूर्वाभिमुख होकर तत्व शुद्धि के लिए 4 बार आचमन करें। कहा जाता है कि श्री दुर्गा सप्तशति के पाठ में कवच, अर्गला और कीलक के पाठ से पहले शापोद्धार करना ज़रूरी है।

बताया जाता है क दुर्गा सप्तशति का हर मंत्र, ब्रह्मा,वशिष्ठ,विश्वामित्र ने शापित किया है।  इसलिए शापोद्धार के बिना, पाठ का फल प्राप्त नहीं होता।
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एक दिन में पूरा पाठ न कर सकें, तो एक दिन केवल मध्यम चरित्र का और दूसरे दिन शेष 2 चरित्र का पाठ करें।

दूसरा विकल्प यह है कि एक दिन में अगर पाठ न हो सके, तो एक, दो, एक चार, दो एक और दो अध्यायों को क्रम से सात दिन में पूरा करें।

श्री दुर्गा सप्तशती में श्रीदेव्यथर्वशीर्षम स्रोत का नित्य पाठ करने से वाक सिद्धि और मृत्यु पर विजय प्राप्त हो सकती है। ध्यान रहे श्रीदुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले और बाद में नवारण मंत्र ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे का पाठ करना अनिवार्य है।

संस्कृत में श्रीदुर्गा सप्तशती न पढ़ पाएं तो हिंदी में पाठ कर लें। श्रीदुर्गा सप्तशती का पाठ स्पष्ट उच्चारण में करें परंतु जो़र से न या उतावले हो कर न पढ़ें।

पाठ नित्य के बाद कन्या पूजन करना अनिवार्य है। श्रीदुर्गा सप्तशति का पाठ में कवच, अर्गला, कीलक और तीन रहस्यों को भी सम्मिलत करना चाहिए। दुर्गा सप्तशति के- पाठ के बाद क्षमा प्रार्थना ज़रूर करें।
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देवी पुराण में प्रातःकाल पूजन और प्रात में विसर्जन करने को कहा गया है। ध्यान रहे रात्रि में घट स्थापना कभी न करें इसे वर्जित माना जाता है।


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Jyoti

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