देवी-देवताओं को फूल अर्पित करने से पहले बरतें सावधानी, पाप के भागी न बन जाएं

Friday, Dec 01, 2017 - 02:16 PM (IST)

मान्यता है कि भगवान के प्रिय पुष्प अर्पित करने से वे जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को मनवांछित फल प्रदान करते हैं। सभी मांगलिक कार्य और पूजन कर्म में फूलों का विशेष स्थान होता है। सभी देवी-देवताओं को अलग-अलग फूल प्रिय हैं। साथ ही इन्हें कुछ फूल नहीं चढ़ाए जाते। इसी वजह से बड़ी सावधानी से पूजा आदि के लिए फूलों का चयन करना चाहिए। शिव जी की पूजा में मालती, कुंद, चमेली, केवड़ा के फूल वर्जित हैं। सूर्य उपासना में अगस्त्य के फूलों का उपयोग नहीं करना चाहिए। सूर्य और श्री गणेश के अतिरिक्त सभी देवी-देवताओं को बिल्व पत्र चढ़ाए जा सकते हैं। सूर्य और श्री गणेश को बिल्व पत्र न चढ़ाएं। प्रात:काल स्नानादि के बाद ही देवताओं पर चढ़ाने के लिए पुष्प तोड़ें या चयन करें। ऐसा करने पर भगवान प्रसन्न होते हैं। बिना नहाए पूजा के लिए फूल कभी न तोड़ें।


भगवान को ताजे, बिना मुरझाए तथा बिना कीडों के खाए हुए फूल डंठलों सहित चढ़ाने चाहिए। फूलों को देव मूर्ति की तरफ करके उन्हें उल्टा अर्पित करें। बेल का पत्ता भी उल्टा अर्पण करें। बेल एवं दूर्वा का अग्रभाग अपनी ओर होना चाहिए। उसे मूर्ति की तरफ न करें। तुलसी पत्र मंजरी के साथ होना चाहिए। मुरझाए, पुराने या बासे फूल नहीं चढाएं।

 
माली के पास रखे फूल पुराने या बासे नहीं होते। फूल खरीदते समय बस यह ध्यान रखें की फूल गले न हों। भगवान को फूल चढाते समय अंगूठा, मध्यमा एवं अनामिका उंगली का प्रयोग करना चाहिए। कनिष्ठा उंगली का प्रयोग नहीं करना चाहिए। चतुर्थी के दिन दूर्वा, एकादशी के दिन तुलसी तथा प्रदोष के दिन बेल के पत्र आदि नहीं तोडने चाहिए। कुछ विशेष परिस्थितियों में इन दिनों पत्र तोड़ने पड़ें तो उन पेड़ों से माफी मांगकर एवं प्रार्थना करके तोड़ें।

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