Dharmik Sthal: जम्मू शहर का ‘रक्षक’ है यह मंदिर

Monday, Apr 04, 2022 - 04:19 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
बावे वाली माता मंदिर जम्मू में स्थित है। यह बाहू किले के परिसर के भीतर बनाया गया है और इसे शहर का सबसे पवित्र और शक्तिशाली मंदिर माना जाता है। मंदिर में देवी महाकाली की काले रंग की मूर्ति है। बावे वाली माता जम्मू की अधिष्ठात्री देवी भी हैं। जम्मू के लोगों का दृढ़ विश्वास है कि बावे वाली माता हमेशा जम्मू शहर को बाहरी खतरों से बचाती हैं। इस मान्यता को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। कहा जाता है कि जब पाकिस्तान वायुसेना द्वारा 1965 और 1971 के दौरान जम्मू शहर पर हवाई हमले किए गए, तो शहर को कोई नुक्सान नहीं हुआ क्योंकि पायलटों को विशाल खाली मैदान और मिट्टी का जलता हुआ दीया, जिसे एक कंजक ने उठा रखा था, के अलावा कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। मंदिर का निर्माण 3,000 साल पहले राजा बाहुलोचन ने करवाया था। डोगरा शासकों द्वारा 19वीं शताब्दी में मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया था।

इसके अलावा जानें भारत में स्थित इन दो खास मंदिरों के बारे में-

भद्रकाली मंदिर
उत्तर भारत के पावन व ऐतिहासिक स्थलों में शामिल कपूरथला जिले के गांव शेखूपुर स्थित 200 वर्ष पुराना माता भद्रकाली मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का मुख्य केंद्र है। 
1947 में विभाजन से पहले माता भद्रकाली के श्रद्धालु पाकिस्तान के लाहौर जिला के गांव शेखूपुर स्थित भद्रकाली मंदिर में झंडा चढ़ाने व अपनी मनोकामना पूरी होने पर मां का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचते थे। 1947 में ठाकुर दास मेहरा ने कपूरथला के शेखूपुर में माता की मूर्ति स्थापित की थी। 

बगलामुखी मंदिर 
हिमाचल प्रदेश देवताओं व ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रहा है। बगलामुखी मंदिर प्रदेश में कांगड़ा जनपद के कोटला कस्बे में स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। मंदिर प्राचीन कोटला किले के अंदर स्थित है और यह ज्वालामुखी से 22 किलोमीटर दूर वनखंडी नामक स्थान पर है। इसका पूरा नाम श्री 1008 बगलामुखी वनखंडी मंदिर है। इसके चारों ओर घना जंगल व दरिया है।  यह मंदिर हिन्दू धर्म के लाखों लोगों की आस्था का केन्द्र है। यह महाभारत कालीन मंदिर माना जाता है। पांडुलिपियों में मां के जिस स्वरूप का वर्णन है, मां उसी स्वरूप में यहां विराजमान हैं। ये पीले रंग के वस्त्र, इसी रंग के आभूषण तथा पीले पुष्पों की ही माला धारण करती हैं। 

Jyoti

Advertising