Basant Panchami: अगले साल कब है ज्ञान की देवी सरस्वती का प्रकट उत्सव बसंत पंचमी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
punjabkesari.in Sunday, Dec 22, 2024 - 02:01 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Basant Panchami 2025: ज्ञान एवं वाणी के बिना संसार की कल्पना करना भी असंभव है। ज्ञान को संसार में सभी चीजों से श्रेष्ठ कहा गया है। माता सरस्वती इनकी देवी हैं। इस आधार पर देवी सरस्वती सभी से श्रेष्ठ हैं। अत: मनुष्य ही नहीं देवता एवं असुर भी माता की भक्तिभाव से पूजा करते हैं। कहा जाता है कि जहां सरस्वती का वास होता है वहां लक्ष्मी एवं काली माता भी विराजमान रहती हैं।
मान्यता है सृष्टि के निर्माण के समय देवी सरस्वती बसंत पंचमी के दिन प्रकट हुई थीं, अत: बसंत पंचमी को सरस्वती माता का जन्मदिन माना जाता है। सरस्वती माता कला की भी देवी मानी जाती हैं। अत: कला क्षेत्र से जुड़े लोग भी माता सरस्वती की विधिवत पूजा करते हैं। छात्रगण सरस्वती माता के साथ-साथ पुस्तक, कापी एवं कलम की पूजा करते हैं। संगीतकार वाद्य यंत्रों की, चित्रकार अपनी तूलिका की पूजा करते हैं।
Basant Panchami Shubh Muhurat बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त
वर्ष 2025 में माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का शुभ आरंभ 2 फरवरी की प्रात: 9:14 पर होगा और समापन 3 फरवरी के भोर में 6:52 पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, मां सरस्वती का प्रकट उत्सव, बसंत पंचमी 2 फरवरी को मनाया जाएगा।
Auspicious time of Saraswati Puja on Basant Panchami बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त- प्रात: 7:9 से लेकर दोपहर 12:35 तक रहेगा।
Method of Goddess Saraswati Puja देवी सरस्वती पूजा की विधि
सरस्वती पूजा करते समय सबसे पहले सरस्वती माता की प्रतिमा अथवा तस्वीर को सामने रखना चाहिए। इसके बाद कलश स्थापित करके गणेश जी तथा नवग्रह की विधिवत पूजा करनी चाहिए तथा माता सरस्वती की पूजा करें। सरस्वती माता की पूजा करते समय उन्हें सबसे पहले आचमन एवं स्नान कराएं। इसके बाद माता को फूल एवं माला चढ़ाएं। सरस्वती माता को सिंदूर एवं अन्य शृंगार की वस्तुएं भी अर्पित करनी चाहिएं।
सरस्वती पूजन के अवसर पर माता सरस्वती को पीले रंग का फूल चढ़ाएं। प्रसाद के रूप में मौसमी फलों के अलावा बूंदियां अर्पित करनी चाहिएं।
पूजा के बाद सरस्वती माता के नाम से हवन करना चाहिए। उनके नाम से ॐ श्री सरस्वत्यै नम: स्वाहा’ इस मंत्र से 108 बार हवन करें और सरस्वती माता की आरती करें और हवन का भभूत लगाएं।