Basant Panchami: बसंत पंचमी से जुड़ी हैं ये कथाएं...

Wednesday, Feb 14, 2024 - 07:28 AM (IST)

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Happy Basant Pachami: बसंत पंचमी का पर्व राष्ट्रीय एकता, सामाजिक समरसता आपसी सौहार्द, देश की उन्नति एवं प्रगति को समर्पित है। धार्मिक सामाजिक ऐतिहासिक दृष्टिकोण से बसंत पंचमी का पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। सभी सम्प्रदायों के लोग अपनी-अपनी परम्परा के अनुसार इस पर्व को श्रद्धा एवं उत्साह से मनाते हैं। यही भारतीय संस्कृति का सौंदर्य है कि अपनी-अपनी परम्पराओं से जुड़ा हर भारतीय जनमानस इन पर्वों को मनाता है।

Basant Panchami Kyu Manaya Jata Hai: ये पर्व हमारी राष्ट्रीय एकता के प्रतीक हैं। इन्हें मना कर न केवल हम अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं अपितु आज के भागदौड़ के जीवन में हमें कुछ क्षणों के लिए अपनी गौरवशाली भारतीय संस्कृति के पर्वों के महान इतिहास से जुड़ने का हमें सुअवसर प्राप्त होता है।

Religious Katha: विदेशी आक्रांताओं से त्रस्त भारत भूमि एक सहस्त्र वर्षों तक परतंत्र रही। अमर शहीद वीर बलिदानी बाल हकीकत का इतिहास भी बसंत पंचमी से जुड़ा हुआ है। बसंत पंचमी के दिन ही 23 फरवरी 1734 को एक  छोटे से बालक वीर हकीकत राय को इस्लाम स्वीकार नहीं करने के  कारण सिर को धड़ से अलग कर दिया गया था। वैदिक हिन्दू सनातन धर्म की रक्षा हेतु प्राणों की आहुति देने वाले वीर हकीकत अमर हो गए।

Vasant Pachami: गौरक्षा, स्वदेशी एवं नारी सशक्तिकरण के प्रखर समर्थक सतगुरु राम सिंह जी का जन्म दिवस भी बसंत पंचमी का है। ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिलाने के  लिए उन्होंने कई प्रभावशाली आंदोलन चलाए।

Basant Pachami: कवि, उपन्यासकार एवं कहानी लेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ का जन्म भी बसंत पंचमी के दिन, 21 फरवरी, 1899 को बंगाल की महिषादल रियासत के जिला मेदिनीपुर में हुआ था।

Religious Context: बसंत पंचमी को पीले रंग से भी जोड़ा जाता है। यह रंग समृद्धि प्रकाश और ऊर्जा का परिचायक है। भगवान श्री हरि विष्णु भी पीत रंग के वस्त्र धारण करते हैं इसलिए इस रंग को अति पवित्र माना गया है। हर मंगल कार्य में इस रंग का प्रयोग होता है। बसंत पंचमी पर पीले रंग के पकवान बनाने और पतंगें उड़ाने की परम्परा है।

Niyati Bhandari

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