Housewife की ये Bad Habits देवों को करती हैं नाराज़

Monday, May 14, 2018 - 03:53 PM (IST)

प्रत्येक आवास स्थल में रसोई अथवा पाकशाला अवश्य होती है और इसका अत्यधिक महत्व भी है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, रसोई पूर्व दक्षिणी कोण में होनी चाहिए जहां प्रात: 11 बजे के बाद 4 बजे तक अल्ट्रा वायलेट अथवा भरपूर ऊर्जा शक्ति, भगवान सूर्य नारायण के इस दिशा में आने से मिलती है। सनातन धर्म के अंतर्गत भगवती अन्नपूर्णा यहीं विराजती हैं जिसकी उपस्थिति के कारण रसोई कुल आवासीय क्षेत्र में यही स्थल अति पावन पवित्र रखने का आदेश है।


देवताओं की प्रसन्नता प्राप्त करने एवं घर में ऋद्धि-सिद्धि के स्थिर वास के लिए भी जो रसोई में पक कर तैयार होता है उसे भगवान को अर्पित करके उसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण करने तथा घर में पकने वाले पहले कौर को अग्नि में आहुति देने से अग्नि देवता प्रसन्न होते हैं- एक चपाती के तीन हिस्से करके गाय-कौआ और कुत्ते को खिलाने से भी घर में समृद्धि बनी रहती है। 


गृहिणी को रसोई तैयार करते समय प्रसन्न रहना अति आवश्यक है। तनाव या मानसिक दुविधा की स्थिति में खाना तैयार करने से परिवार के लोगों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा तथा सभी चिंतित रहेंगे।


खाना तैयार करते समय गृहिणी को काले या लाल रंग के चप्पल, जूते आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि काले रंग को अग्रि का कुचालक माना जाता है तथा लाल रंग को अग्रि का स्रोत माना जाता है। जिससे स्वास्थ्य खराब होने की पूर्ण संभावनाएं बढ़ जाती हैं।


खाना पकाते समय गृहिणी अपना मुंह पूर्व दिशा में रखे तथा रसोई के अंदर तुलसी का पौधा स्थापित करें। वाश बेसिन चूल्हे के पास न बनाएं।


घर के अंदर तैयार खाने व पकवान को उत्तर या पूर्व दिशा में रखें।


अगर वाश बेसिन चूल्हे के पास है तो रसोई के बर्तन रसोई की अग्नि ठंडी होने के बाद साफ करें।


रसोईघर के अंदर भूल कर भी पूजा का स्थल या देव स्थान या पितृ स्थान आदि न बनाएं। ऐसा करने से घर के प्रत्येक कार्य में बाधा आती है तथा सफलता कम मिलती है।


रसोईघर के अंदर बैठ कर भोजन नहीं करना चाहिए।

Niyati Bhandari

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