द्रौपदी ने की थी इस अद्भुत शिवलिंग की पूजा, जानें इससे जुड़ी खास बातें

punjabkesari.in Saturday, Aug 10, 2019 - 04:19 PM (IST)

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सावन के इस पावन महीने में हम आपको अपनी वेबसाइट्स के जरिए आपको बहुत से प्राचीन मंदिरों के बारे में बता चुके हैं। इसी कड़ी को न तोड़ते हुए आज हम आपके लिए शिव जी का एक और प्राचीन मंदिर लेकर आएं जिसका संबंध पांडवों की पत्नी दौपद्री से है। बता दें दौपद्री 5 पांडवों की पत्नी थी, जिस कारण उन्हें पांचाली भी कहा जाता है। बल्कि इस शिव मंदिर का नाम भी इनके ही नाम पर रखा गया।
PunjabKesari,  Baba Panchaleshwar Mahadev Temple, पांचालेश्वर महादेव, कानपुर
बता दें हम बात कर रहे हैं कानपुर के पांचालेश्वर महादेव जो कानपुर शहर से लगभग 40 किमी दूर रघुनाथपुर गांव में स्थित है। इस मंदिर की जो अपने आप में बहुत खासियत है। पौराणिक कथाओं के अनुसार द्वापर युग में बनवास के दौरान 5 पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने इस स्थान पर शिव जी की तपस्या की थी। जिसके बाद माना जाता है कि द्रौपदी की इस तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव ने उसे आशीर्वाद दिया था और बाद मेंइसी स्थान पर शिवलिंग के रूप में विराजमान हो गए थे। तब से ही यह मंदिर यही स्थित है।

प्रचलित किंवदंतियों के अनुसार कई साल पहले यहां पर बंजारों की टोली आई थी। यहां स्थित सुनहरे शिवलिंग को देखकर वे उसे खोदने लगे,जिस कारण शिवलिंग खंडित हो गया। कहा जाता है कि जैसे ही शिवलिंग खंडित हुआ, उससे सांप निकले और उन्होंने उन बंजारों को डस लिया। बताया जाता है कि इसके बाद संतों की टोली ने यहां पर तपस्या कर भोले बाबा का क्रोध शांत किया।
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कहा जाता है इस शिवलिंग के पास आठ काले नाग देखे गए थे। यही कारण है कि मंदिर निर्माण के वक्त गुम्मद के अंदर आठ सांपों की आकृति बनाई गई है। यहां के स्थानीय और मंदिर के पुजारी बताते हैं कि आज भी गर्भ गृह में सांप देखे जाते हैं। उन लोगों का कहना है कि यही कारण है कि रात में गर्भगृह में दूध रख दिया जाता है, जो रात को गर्भगृह में आते सांप पी जाते हैं।
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Jyoti

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