वर्षों पहले मौत के आगोश में गए सैनिक आज भी निभा रहे हैं ड्यूटी, भय खाते हैं चीनी सैनिक

Monday, May 22, 2017 - 11:52 AM (IST)

हमारे देश में बहुत सारे देवी-देवताअों के मंदिर हैं, लेकिन यहां एक भारतीय सैनिक का मंदिर भी है। जहां पर दूर-दूर से लोग पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं। इतना ही नहीं इस सैनिक ने मरने के बाद भी अपनी नौकरी जारी रखी। ये सब सुनने में अजीब लग रहा है लेकिन सिक्किम में बाबा हरभजन सिंह का मंदिर स्थित है, जहां लोग उनके दर्शनों हेतु आते हैं। जानिए सैनिक के बाबा बनने की कहानी।
हरभजन सिंह का जन्म 30 अगस्त 1946 को पंजाब(वर्तमान पाकिस्तान) के सदराना गांव में हुआ था। हरभजन 1966 को भारतीय सेना के पंजाब रेजीमेंट में सिपाही के रूप में भर्ती हुए। इसके बाद 1968 में 23वें पंजाब रेजिमेंट के साथ पूर्वी सिक्किम में तैनात थे। चार अक्टूबर 1968 को खच्चरों का काफिला ले जाते समय नाथु ला पास के समीप उनका पैर फिसल गया और घाटी में गिरने से उनकी मृत्यु हो गई। नीचे पानी के तेज बहाव के कारण उनका शरीर दूर बह गया।कहा जाता है कि हरभजन सिंह ने अपने साथी के सपने में आकर अपने मृत शरीर के बारे में बताया। उसके बाद जब खोज की गई तो 3 दिन के बाद उनका शरीर उनके द्वारा बताई जगह पर ही मिला। यह भी कहा जाता है कि उन्होंने सपने में आकर समाधि बनाने के बारे में भी कहा था, जिसके बाद उनकी एक समाधि बना दी गई। 

कहा जाता है कि हरभजन सिंह मृत्यु के बाद भी अपनी ड्यूटी करते थे। वे चीन की सारी गतिविधियों की जानकारी अपने साथियों को देते थे। सेना को भी उन पर विश्वास है अौर उन्हें भी अन्यों की भांति वेतन, दो महीने की छुट्टी आदि सुविधाएं दी जाती थी। लेकिन अब वे रिटायर हो चुके हैं। इतना ही नहीं जब वे दो महीने की छुट्टी के दौरान ट्रेन में उनके घर तक की टिकट बुक करवाई जाती है। स्थानीय लोग उनका सामान लेकर जुलूस के रूप में उन्हें रेलवे स्टेशन छोड़ने जाते हैं। उनके वेतन का एक चौथाई हिस्सा उनकी मां को भेजा जाता है। कहा जाता है कि नाथुला में जब भी भारत अौर चीन के बीच फ्लैग मीटिंग होती है तो बाबा हरभजन के लिए अलग से कुर्सी लगाई जाती है। 

बाबा हरभजन सिंह के मंदिर में इनके जूते व बाकी का सामान रखा गया है। इस मंदिर की चौकीदारी भारतीय सेना के जवान करते हैं। उनके जूतों को प्रतिदिन पॉलिश किया जाता है। वहां पर तैनात सिपाहियों का कहना है कि प्रतिदिन उनके जूतों पर किचड़ लगा होता है अौर बिस्तर पर सिलवटें पड़ी होती है। भारतीय सेना ही नहीं चीनी सैनिकों का भी यही कहना है कि उन्होंने भी बाबा हरभजन सिंह को घोड़े पर गश्त लगाते हुए देखा है। 

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