‘श्री राम मंदिर परिसर में डिजीटल आध्यात्मिक लाइब्रेरी व देसी गायों की गौशाला हो’

Wednesday, Mar 25, 2020 - 09:35 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त होने तथा महंत नृत्य गोपाल दास के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास के अध्यक्ष बनने की खुशी में डा. कृष्ण मुरारी स्वामी जी ने लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व उन्हें लिखा एक पत्र हमें प्रेषित किया है, जिसे पाठकों की जानकारी के लिए हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं :

अहिंसा परमो धर्म:। धर्म हिंसा तदैव च।।

अर्थात- अहिंसा सर्वोच्च आचरण है मगर हमें अवश्य क्रूरता का विरोध तथा उसके विरुद्ध आवाज उठानी चाहिए।

वाञ्छा कल्पतरूभ्यञ्य कृपासिन्धुभ्य एव च। पतितानाम् पावनेभ्यो वैष्णवेश्यो नमो नम:।।

अर्थात- मैं भगवान के सभी वैष्णव श्रद्धालुओं को सम्मानपूर्वक श्रद्धा प्रस्तुत करता हूं। वे हर किसी की इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं, ठीक पेड़ों की तरह तथा वे सभी पतित आत्माओं के लिए दया से भरे हैं।

असतो मा सद्गमय तमसो मा ज्योतिर्गमय मृतयोर्मा अमृतं गमय ।। 1: 3: 28।। (वृहद अरण्यक उपनिषद्)

अर्थात- मोहमाया में न रहें, शाश्वत यथार्थ में जाएं। अंधकार में न रहें, प्रकाश में जाएं। भौतिक वस्तुओं में न उलझे रहें, अविनाशी बन जाएं।

श्रद्धेय प्रिय मठाधीश श्री नृत्य गोपाल दास जी महाराज, दीर्घानुभवी अध्यक्ष, श्रीराम जन्मभूमि न्यास। भारतीय संविधान के अनुसार भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, मगर प्रत्येक जीव आध्यात्मिक है क्योंकि आत्मा सर्वशक्तिमान का अभिन्न हिस्सा है।

अहं सर्वस्य प्रभवो मत: सर्वं प्रवर्तते। इति मत्वा भजन्ते मां बुधा भावसमन्विता:।। (भगवद् गीता 10.8)

भगवान श्रीकृष्ण अपने अंतरंग मित्र तथा महान श्रद्धालु अर्जुन से कहते हैं- मैं सभी आध्यात्मिक तथा भौतिक शब्दों का स्रोत हूं। हर वस्तु मुझसे उत्पन्न होती है। जो ज्ञानी व्यक्ति इसे अच्छी तरह से जानता है, वह मेरी भक्ति सेवा में जुट जाता है और पूरे दिल से मेरी पूजा करता है। (श्रीमद्भागवत गीता, अध्याय 10, श्लोक 08)

सभी श्रेष्ठ वैदिक साहित्यों को पढऩे तथा उनको बढ़ावा देने या प्रचार करने के लिए भगवान श्रीराम मंदिर निर्माण स्थल पर आपको एक ग्लोबल डिजिटल आध्यात्मिक लाइब्रेरी तथा रिसर्च सैंटर कायम करना चाहिए।

श्री नृत्य गोपाल दास जी महाराज, अयोध्या में भगवान श्री राम जन्मभूमि ग्लोबल डिजीटल मंदिर के परिसर में एक पर्यावरणमित्र वातावरण में भगवान श्रीराम को प्रसाद स्वरूप आपको 9 हजार गायों के साथ एक वैश्विक गौशाला का निर्माण अवश्य करना चाहिए। भगवान श्री राम चंद्र जी चैत्र माह के बढ़ते चंद्रमा के 9वें दिन प्रकट हुए थे, इसलिए मैंने 9 हजार देसी गायों का प्रस्ताव किया है।

‘श्री भगवानुवाच’
आयुधानामहं वज्रं धेनुनामस्मि कामधुक्। प्रजनश्चास्मि कन्दर्प : सर्पाणामस्मि वासुकि:।। (श्री भगवद् गीता, 10:28)

भगवान श्री कृष्ण कहते हैं- शास्त्रों में मैं वज्र हूं, गायों में मैं सुरभि (कामधेनु) हूं, उत्पत्ति के कारणों से मैं कंर्प, प्रेम का देवता हूं तथा सर्पों का मैं वासुकि हूं। (श्री भगवद्गीता, अध्याय 10, श्लोक 28)

‘श्री भगवानुवाच’ पवन: पवतामस्मि राम: शस्त्रमृतामहम्। ऋषाणां मकरश्चास्मि स्रोतसामस्मि जाह्नवी।। (भगवद गीता, 10:31)

देवत्व के सर्वोच्च व्यक्तित्व भगवान श्रीकृष्ण अपने शिष्य अर्जुन से कहते हैं : शुद्ध करने वालों में मैं वायु हूं, शास्त्रों के चक्रधारियों में मैं सर्वशक्तिमान श्रीराम (भगवान श्री रामचंद्र) हूं तथा बहती नदियों में मैं पवित्र गंगा हूं। (श्रीमद्भागवत गीता, 10:31)

अंग्रेजी, हिंदी तथा संस्कृत आदि, ये सभी हमारे देश भारतवर्ष की संवैधानिक भाषाएं हैं। अत: श्री अयोध्या पुरी में डिजीटल आध्यात्मिक लाइब्रेरी के पर्यावरण-मित्र वातावरण तथा दैवीय देसी गायों की गौशाला के साथ भगवान श्रीराम चंद्र जी के वैभवशाली मंदिर परिसर के लिए आगे बढ़ें।


 

Niyati Bhandari

Advertising