Ashunya Shayan Vrat: पत्नियों की लंबी आयु के लिए पति रखते हैं ये व्रत, जानें इससे जुड़ी खास बातें

Wednesday, Sep 22, 2021 - 12:56 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
प्रत्येक वर्ष जैसे हिंदू धर्म के अन्य पर्व, दिवस व त्यौहार आदि पड़ते हैं, ठीक उसी तरह हर वर्ष पितृ पक्ष मनाया जाता है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों का विधि वत श्राद्ध करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये श्राद्ध कार्य मृतकों की आत्मा की तृप्ति के लिए किया जाता है। जैसे कि सब जानते हैं 21 सितंबर से पितृ पक्ष आरंभ हो चुका है, जिसके बाद आज द्वितीया श्राद्ध वाले दिन अशून्य शयन द्वितीया व्रत भी है। हिंदी पंचांग के मुताबिक अशून्य शयन द्वितीया व्रत की पूजा 5 महीने सावन, भादो, आश्विन, कार्तिक और अगहन में की जाती है तथा यह व्रत इन 5 महीनों में कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को रखा जाता है। आज आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि है, जिसके चलते आज ये व्रत रखा गया है। धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है कि अशून्य शयन व्रत में भगवान विष्णु के साथ देवी माता लक्ष्मी की पूजा का विधान होता है। तो आइए जानते हैं इस दिन के शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, महत्व तथा मंत्र आदि के बारे में- 

अशून्य शयन द्वितीया व्रत मुहूर्त-
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि का प्रारंभ 22 सितंबर 2021 को सुबह 05:52 AM पर हुआ है, जो कि 23 सितंबर 2021 को सुबह 06:54 AM तक है। ऐसे में अशून्य शयन द्वितीया व्रत आज 22 सितंबर को रखा गया है। राहुकाल की बात करें तो पूर्वाहन 11:53 बजे से अपराह्न 13:24 बजे तक है।

अशून्य शयन व्रत का महत्व-
अशून्य शयन व्रत को लेकर मान्यता प्रचलित है इस व्रत को करने से पत्नी दीर्घायु होती है। जी हां, लगभग लोग जानते हैं करवाचौथ का व्रत पत्नियां पति की दीर्घाय आयु के लिए व्रत करती हैं। परंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि अशून्य शयन व्रत पतियों द्वारा पत्नियों की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। इसके अलावा इस व्रत को करने से दांपत्य जीवन खुशहाल होता है, दांपत्य जीवन की सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं, जीवनसाथी का सहयोग हमेशा बना रहता है, वैवाहिक जीवन से नकारात्मकता दूर होती है तथा पति और पत्नी के बीच के आपसी प्रेम में वृद्धि होती है। 

पूजा विधि:
व्रती स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र पहनें, फिर पूजा स्थल पर जाकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को ध्यान करते हुए व्रत और पूजा का संकल्प लें। इसके उपरांत शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी व श्री हरि विष्णु की विधि विधान से पूजा करें। इसके अलावा निम्न मंत्र का उच्चारण करें। तथा आरती करते हुए पूजा संपन्न करें। 

मंत्र:
लक्ष्म्या न शून्यं वरद यथा ते शयनं सदा। शय्या ममाप्यशून्यास्तु तथात्र मधुसदन।।

शाम को चंद्रोदय के समय पर चंद्रमा को दही, फल तथा अक्षत से अर्घ्य दें और इसके पश्चात ही व्रत का पारण करें। ध्यान रहे व्रत के अगले दिन जरूरत मंद ब्राह्मण को भोजन कराएं, दक्षिणा दें तथा कोई मीठा फल दान कर दें। मान्यता है कि ऐसा करने से दांपत्य जीवन में प्रेम और माधुर्य बढ़ता है। 

Jyoti

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