Pitru paksha 2020: इस विधि से करें अष्टमी का श्राद्ध, वर्ष भर बरसेगा पितरों का आशीर्वाद

Monday, Sep 07, 2020 - 07:29 AM (IST)

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Pitru paksha 2020: आश्विन कृष्ण अष्टमी पर अष्टमी का श्राद्ध मनाया जाएगा। अष्टमी के श्राद्ध हेतु शास्त्र आज्ञा के अनुसार अगर श्राद्धकर्ता की माता जीवित नहीं हो तो श्राद्धकर्ता को पिता का श्राद्ध भी अष्टमी को करना चाहिए। अष्टमी श्राद्ध हेतु गया के विष्णुपद के 16 वेदी नामक मंडप में 14 स्थानों पर व पास के मंडप में 2 स्थानों पर पिंडदान करना चाहिए। अष्टमी श्राद्ध उस श्राद्धकर्ता हेतु वैध है जिसके माता-पिता जीवित न हों। श्राद्धकर्म करने से पितृ वर्ष भर प्रसन्न रहकर आशीर्वाद देते हैं।


शास्त्रनुसार यदि पुत्र नहीं है तो नाती, नाती के आभाव में कोई भी परिजन श्राद्ध कर सकता है। अनेक पुत्रों वाले पिता का श्राद्ध ज्येष्ठ पुत्र को करना चाहिए। पुत्र के अभाव में पौत्र, पौत्र के अभाव में प्रपौत्र व किसी के न रहने पर भाई की संतान श्राद्ध कर सकती है। पुत्र के अभाव में मृतक की पत्नी श्राद्ध कर सकती है। पुत्र के अभाव में पत्नी का श्राद्ध पति कर सकता है। शास्त्रनुसार अष्टमी का विधिवत श्राद्ध करने से श्राद्धकर्ता को सुख-समृद्धि व दीर्घायु प्राप्त होती है।

अष्टमी श्राद्ध विधि: अष्टमी श्राद्ध कर्म में आठ ब्राह्मणों को भोजन कराने का मत है। श्राद्ध में गंगाजल, कच्चा दूध, तिल, जौ व मिश्री मिश्रित जल की जलांजलि दें तदुपरांत पितृ पूजन करें। पितृगण के निमित्त, गौघृत का दीप करें, सुगंधित धूप करें, लाल फूल, लाल चंदन, तिल व तुलसी पत्र समर्पित करें। जौ के आटे के पिण्ड समर्पित करें। फिर उनके नाम का नैवेद्य रखें। कुशासन पर बैठाकर पितृ के निमित्त भगवान विष्णु के गोविंद स्वरूप का ध्यान करते हुए गीता के आठवें अध्याय का पाठ करें व इस विशेष पितृ मंत्र का यथा संभव जाप करें। इसके उपरांत लौकी की खीर, पालक, पूड़ी, पालक की सब्ज़ी, मूंग दाल, हरे फल, लौंग-इलायची व मिश्री अर्पित करें। भोजन के बाद ब्राह्मणों को वस्त्र, मिश्री व दक्षिणा देकर आशीर्वाद लें।

विशेष पितृ मंत्र: ॐ गोविन्दाय नमः॥

Niyati Bhandari

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