दुनिया में मां से बढ़कर कुछ नहीं
punjabkesari.in Sunday, Jul 19, 2015 - 10:00 AM (IST)

मां, यह वह शब्द है जो किसी भी व्यक्ति के जीवन में सबसे ज्यादा अहमियत रखता है । ईश्वर सभी जगह उपस्थित नहीं रह सकता इसीलिए उसने धरती पर मां का स्वरूप विकसित किया जो हर परेशानी और हर मुश्किल घड़ी में अपने बच्चों का साथ देती है, उन्हें दुनिया के हर गम से बचाती है । बच्चा जब जन्म लेता है तो सबसे पहले वह मां बोलना ही सीखता है । मां ही उसकी सबसे पहली दोस्त बनती है, जो उसके साथ खेलती भी है और उसे सही-गलत जैसी बातों से भी अवगत करवाती है ।
मां के रूप में बच्चे को नि:स्वार्थ प्रेम और त्याग की प्राप्ति होती है तो वहीं मां बनना किसी भी महिला को पूर्णता प्रदान करता है । मां न सिर्फ अपने बच्चों को दुनिया की बुराइयों से बचाती है बल्कि वह अपने बच्चे की सबसे बड़ी प्रेरणास्रोत भी होती है । भारत के इतिहास पर नजर डालें तो कई ऐसे उदाहरण हमारे सामने हैं जिनमें माताओं ने ही अपनी संतान को महान बनाने में सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है ।
ध्रुव की मां सुनीति हों या फिर महान शिवाजी की माता जीजाबाई, सभी ने अपने बच्चों को जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों से जूझना सिखाते हुए उन्हें एक उत्कृष्ट जीवन भेंट किया । किसी भी सामान्य महिला को देख लीजिए जितना त्याग और समर्पण वह अपनी संतान के लिए करती है, शायद कभी कोई इस बारे में सोच भी नहीं सकता ।
मां से जुड़ी सबसे बड़ी खासियत यह है कि आज के भौतिकवादी युग में जहां सभी रिश्ते स्वार्थ से पोषित हैं तो ऐसे में केवल मां ही है जो बिना किसी अपेक्षा या लालच के अपनी संतान को भरपूर प्रेम देती है । लेकिन मानव जीवन की भी अजीब विडबना है, वह उन लोगों को तवज्जो ही नहीं देता जो उसी के लिए जीते हैं । यही वजह है कि आज न जाने कितनी माताएं अपने बच्चों के होते हुए भी वृद्धाश्रम में तन्हा जीवन व्यतीत कर रही हैं ।
कितनों को उनके बच्चे सड़क पर असहाय छोड़ कर चले जाते हैं। वह भी सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्हें अपनी मां ही अपनी स्वतंत्रता और पारिवारिक खुशहाली की राह में बाधा लगने लगती है । जिस मां ने खुद भूखे रह कर, अपनी सभी इच्छाओं को नजरअंदाज कर अपने बच्चे की हर कमी को पूरा किया, आज वही अपने बच्चे के लिए बोझ बन गई है ।