ऐसे धन पर भरोसा न करें

Wednesday, Jun 17, 2015 - 08:55 AM (IST)

 पुस्तकेषु च या विद्या परहस्तेषु यद्धनम।

उत्पन्नेषु च कार्येषु न सा विद्या न तद्धनम्।।

अर्थ : जो विद्या पुस्तकों में लिखी है और कंठस्थ नहीं है तथा जो धन दूसरे के हाथों में गया है, ये दोनों आवश्यकता के समय काम नहीं आते, अर्थात पुस्तकों में लिखी विद्या और दूसरे के हाथों में गए धन पर भरोसा नहीं करना चाहिए।। 20।।

भावार्थ :  भाव यह है कि विद्या को सदैव कंठस्थ करना चाहिए और धन को सदैव अपने हाथों में रखना चाहिए ताकि वक्त या जरूरत पडऩे पर काम आ सके। अपना अनुभव और अपना धन ही वक्त पर काम आता है

 

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