किस समय की गई प्रार्थना ईश्वर करते हैं स्वीकार?

Sunday, Jun 14, 2015 - 11:12 AM (IST)

प्रार्थना से दुर्लभ वस्तु भी प्राप्त की जा सकती है। यहां तक कि प्रार्थना की शक्ति से स्वयं ईश्वर को भी राजी किया जा सकता है। जहां प्रार्थना से मन को शांति और अपार सुख मिलता है वहीं दिन भर के व्यस्त समय में कुछ पल का सफर निकाल कर स्वयं को ईश्वर के चरणों में अर्पित करना सच्ची निष्ठा है। व्यक्ति द्वारा अपने मन की लौ को ईश्वर के साथ लगा देने भर से मन की चिंता को दूर किया जा सकता है।

प्रार्थना का कोई निश्चित समय नहीं होता कि केवल सुबह या शाम को ही ईश्वर के आगे नमन करने से ही शांति या सुख मिलेंगे अपितु  सर्व शक्तिमान ईश्वर के आगे किसी भी पल नतमस्तक हुआ जा सकता है। इसके अलावा यह भी जरूरी नहीं है कि प्रार्थना केवल पूजा स्थल पर जाकर ही की जाए तभी स्वीकार होगी।
 
परम पिता परमेश्वर को कहीं भी, कभी भी, किसी भी समय आप सच्चे मन से याद कर सकते हैं। न ही यह जरूरी है कि हाथ जोड़कर और पूजा के फूल अर्पित करने से ही वह स्वीकार होगी। बिना दिखावा किए हुए श्रद्धा भाव से ईश्वर का स्मरण भी प्रार्थना ही है। 

प्रात:कालीन प्रार्थना सुबह उठकर सर्वप्रथम ईश्वर को मौन रह कर नमन करना चाहिए।  योग या मैडिटेशन भी प्रार्थना ही है। चित्त को एकाग्र कर ईश्वर का ध्यान करने से आंतरिक शक्ति मिलती है।   

    —जे.के. शास्त्री

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