जब शनिदेव ने चोरों को अंधा कर की भक्तों की रक्षा

Friday, Jun 12, 2015 - 02:09 PM (IST)

शनि देव की महिमा अपरंपार है। न्यायधीश शनिदेव मनुष्य के अच्छे-बुरे कर्मों का फल उनके कर्मों के अनुसार देते हैं। आमतौर पर यह धारणा है कि शनि देव मनुष्यों के शत्रु हैं वास्तविकता यह है कि शनि देव केवल उन्हीं लोगों को दंड देते हैं जो बुरे कर्म करते हैं अर्थात जो जैसा करेगा वो वैसा भरेगा। शनि कृपा प्राप्त होने पर वह अन्य ग्रहों से अधिक शुभ फल प्रदान करते हैं।

हम आपको एक सत्य घटना से रू-ब-रू करवा रहे हैं। श्रीमती चंद्रभागाजी की नवविवाहिता बेटी सुश्री साखर देवी कराले तहसील शिंगवे पाथर्डी अपने ससुराल से मायके शनि शिंगणापुर आई थी। नई नवेली दुल्हन होने के कारण उन्होंने बहुत से चमचमाते आभूषण पहन रखे थे। उसी दिन दोपहर को चार अज्ञात व्यक्ति भिक्षा मांगने के लिए उनके घर आए। घर में प्रवेश करते ही उनकी नजरे गहनों पर पड़ गई। मन ही मन उन्होंने गहनों को हथियाने का विचार किया लेकिन उस समय भिक्षा लेकर वह चुपचाप वहां से चले गए।

घर वालों ने उनकी कुदृष्टि की ओर ध्यान न दिया और चुपचाप भिक्षा देकर घर के भीतर आ गए। उसी रात लगभग एक डेढ़ बजे वे चारों अज्ञात व्यक्ति गहने चुराने के मकसद से उनके घर में घुस गए। चंद्रभागाजी समझ गई की ये उनके गहने हथियाने के मकसद से दाखिल हुए हैं। घर वालो के साथ उनका काफी संघर्ष हुआ। उन चारों से स्वयं को बचाने के लिए चंद्रभागाजी और उनकी बेटी साखर देवी करीब 100 मीटर की दूरी पर श्री अण्णासाहेब काशीनाथ दरंदले के मकान की ओर भाग निकले।

उसी समय श्री शनैश्वर भगवान की कृपा से चमत्कार हुआ वे चारों उन्हें वहां से निकलते देख रहे थे लेकिन फिर भी नहीं देख रहे थे। ऐसा प्रतीत हो रहा था उन चारों की आंखें तो हैं लेकिन उनकी रोशनी कहीं गायब हो गई है। शनिदेव ने स्वयं उनके गहनों की रक्षा की।

उस दिन से लेकर आज तक चंद्रभागाजी और उनके पति श्री धोंडीराम तुकाराम दरंदले
 शनिदेव की सेवा और भक्ति करते आ रहे हैं।

(सौजन्य से शनिदेव डॉट कॉम)

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