88 हजार ब्राह्मणों को अन्न दान करने के तुल्य फल देती है योगिनी एकादशी
punjabkesari.in Friday, Jun 12, 2015 - 08:56 AM (IST)
भगवान विष्णु का शांत स्वरूप यही कहता है कि बुरे वक्त में संयम, धीरज के साथ मजबूत दिल और ठंडा दिमाग रखकर जिंदगी की तमाम मुश्किलों पर काबू पाया जा सकता है। तभी विपरीत समय भी आपके अनुकूल हो जाएगा। ऐसा व्यक्ति सही मायनों में पुरूषार्थी कहलाएगा। इस तरह विपरीत हालातों में भी शांत, स्थिर, निर्भय व निश्चित मन और मस्तिष्क के साथ अपने धर्म का पालन यानी जिम्मेदारियों को पूरा करना चाहिए।
एकादशी के दिन भगवान विष्णु की अराधना का विशेष महत्व है क्योंकि एकादशी तिथी श्री हरि विष्णु को समर्पित है। भगवान विष्णु का मधुसुदन स्वरुप मधु (शहद) के समान शीतल और शांत है।
आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहते हैं तथा यह एकादशी भगवन विष्णु के मधुसुदन स्वरुप को समर्पित है। इसके व्रत से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। यह इस लोक में भोग और परलोक में मुक्ति देने वाली है। यह तीनों लोकों में प्रसिद्ध है। पुराणों में वर्णित है कि महापातकों को भी शांत करने वाली योगिनी तीनों लोकों में सारभूत है व इसका फल 88 हजार ब्राह्मणों को अन्न दान करने के तुल्य फल वर्णित किया गया है। इस एकादशी पर भगवान मधुसूदन के पूजन का विशेष महत्व होता है। भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एकादशी के दिन उनके मंत्र का जाप करना चाहिए। मंत्र जाप के लिए तुलसी एवं चंदन की माला का उपयोग करें।
मंत्र: सुकृतं न कृतं किञ्चिद्दुष्कृतं च कृतं मया। संसारघोरे मग्नोस्मि त्राहि मां मधुसूदन॥
मंत्र स्रोत - शुकदेव रचित मधुसूदन स्तोत्र
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com