अपनी इस आदत पर नियंत्रण पाएंगो तो जो चाहेंगे वो पाएंगे

Tuesday, Jun 09, 2015 - 08:28 AM (IST)

हम में से ज्यादातर लोगों ने कहीं न कहीं यह पढ़ा है कि हमें लक्ष्य बनाने चाहिएं और लक्ष्य स्पष्ट, मापा जा सकने योग्य, प्राप्त किया जा सकने योग्य, वास्तविक और निर्धारित समय सीमा में पूरा होने लायक होना चाहिए लेकिन हम में से ज्यादातर लोगों की समस्या यह है कि हमारे पास पर्याप्त समय होते हुए भी हम लक्ष्य को जल्द से जल्द प्राप्त करना चाहते हैं या फिर ऐसे लक्ष्य बना लेते हैं जो व्यावहारिक नहीं होते और उन्हें पूरा करने के लिए हमें दिन-रात एक करना होता है। हम ऐसे लक्ष्य तो बना लेते हैं लेकिन अंदर ही अंदर हमें ऐसा लगता है कि हम इस लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकते और इसका नतीजा यह होता है कि हम एक-दो दिन तो उस लक्ष्य के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं लेकिन एक-दो दिन बाद हमें वह लक्ष्य एक परेशानी लगने लगता है।

 शस्त्र विद्या का एक विद्यार्थी अपने गुरु के पास गया। उसने अपने गुरु से विनम्रतापूर्वक पूछा, ‘‘मैं आपसे शस्त्र विद्या सीखना चाहता हूं। इसमें मुझे पूरी तरह निपुण होने में कितना समय लगेगा?’’

गुरु ने कहा, ‘‘10 वर्ष।’’

विद्यार्थी ने फिर पूछा, ‘‘लेकिन मैं इससे भी पहले इसमें निपुण होना चाहता हूं। मैं कठोर परिश्रम करूंगा। मैं प्रतिदिन अभ्यास करूंगा, भले ही मुझे 15 घंटे या इससे भी अधिक समय लग जाए। तब मुझे कितना समय लगेगा?’’

गुरु ने कुछ क्षण सोचा फिर बोले, ‘‘20 वर्ष।’’

गुरु का यह कथन हमारी जिंदगी में भी लागू होता है। यह मनुष्य की स्वाभाविक प्रकृति है कि अगर वह जैसा सोचता है वैसा नहीं होता तो वह दुखी हो जाता है। जब हम अपने द्वारा बनाए हुए लक्ष्य को ही पूरा नहीं कर पाते तो हमारा आत्मविश्वास डगमगाने लगता है। जब हमारे लक्ष्य पूरे होते दिखाई नहीं देते तो हमारे पास 2 उपाय होते हैं या तो लक्ष्य को बदल दो और या फिर समय सीमा को बढ़ा दो। ये दोनों ही उपाय हमारे आत्मविश्वास को कम कर देते हैं। इसलिए बेहतर यही होता है कि लक्ष्य व्यावहारिक होने चाहिएं।
 

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