इस जन्म से लेकर अगले जन्म तक ये चीज जाती है साथ

punjabkesari.in Tuesday, Jun 09, 2015 - 08:00 AM (IST)

जन्म-जन्मन्यभ्यस्तं दानमध्ययनं तप:।
तेनैवाऽभ्यासयोगेन तदेवाभ्यस्यते पुन:।।


अर्थ : अनेक जन्मों से किया गया दान, अध्ययन और तप का अभ्यास, अगले जन्म में भी उसी अभ्यास के कारण मनुष्य को सत्कर्मों की ओर बढ़ाता है, अर्थात वह दूसरे जन्म में भी शास्त्रों के अध्ययन को दान देने की प्रवृत्ति को और तपस्यारत जीवन को दूसरों के पास तक पहुंचाता है।। 19।।

भावार्थ : भाव यह है कि हमारे इस जन्म के शुभ कर्म अगले जन्म में भी हमें शुभ कर्मों की ओर ले जाने वाले होंगे।

 


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