इस मंत्र के जाप से यमराज भी पास नहीं फटकते

Monday, Jun 08, 2015 - 09:51 AM (IST)

घटघटवासी परमेश्वर शिव ब्रहमांड के कण-कण में समाए हुए हैं। परमेश्वर शिव का जनजीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान है। ये कहीं भी विराजित हो जाते हैं। बरगद, नीम अथवा पीपल के पेड़ के नीचे, गलियों और मौहल्लों में अथवा गांव की सीमा के बाहर कहीं भी परमेश्वर शिव अपना बसेरा डाल ही लेते हैं। शिव का साकार रूप सदाशिव नाम से प्रसिद्ध है। इसी तरह शिव की पंचमूर्तियां - ईशान, तत्पुरुष, अघोर, वामदेव और सद्योजात नाम से पूजनीय है, जो खासतौर पर पंचवक्त्र पूजा में पंचानन रूप का पूजन किया जाता है।

शास्त्रों में शिव की अष्टमूर्ति पूजा का भी महत्व बताया गया है। यह अष्टमूर्ति है शर्व, भव, रुद्र, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव, जो क्रम से पृथ्वी, जल, अग्रि, वायु, आकाश, क्षेत्रज्ञ, सूर्य और चन्द्र रूप में स्थित मूर्ति मानी गई है। रुद्र भगवान शिव का परब्रह्म स्वरूप है, जो सृष्टि रचना, पालन और संहार शक्ति के नियंत्रक माने गए हैं। रुद्र शक्ति के साथ शिव घोरा के नाम से भी प्रसिद्ध है। रुद्र रूप माया से परे ईश्वर की वास्तविक शक्ति मानी गई है। नीलकंठ नाम की महिमा धैर्य और संयम की सीख देती है।

आकाल मृत्यु से बचने के लिए त्र्यक्षरी मृत्युंजय मंत्र क प्रयोग किया जाता है। इस मंत्र के उच्चारण से यमराज को भी खाली हाथ लौटना पड़ता है। सोमवार के दिन शिवालय जाकर शिवलिंग का विधिवत षोडशोपचार पूजन करें। तत्पश्चात पानी भर कर तांबे के लौटे में शतावरी डालकर अपने सामने रखें। इसके बाद पंचमुखी रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का 5 माला जाप करें। जाप पश्चात शतावरी संभाल कर रख लें तथा शेष बचा पानी नहाने के पानी में मिलाकर रोज स्नान करें।

मंत्र: ॐ हौं जूं सः

मंत्र रुद्रयामल तंत्र अंतर्गत देवी रहस्य के मृत्युञ्‍जय कवच से है।

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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