कहीं आप भी नकारात्मक ऊर्जाओं को अपने ईर्द-गिर्द इकट्ठा तो नहीं करते

punjabkesari.in Saturday, May 16, 2015 - 09:00 AM (IST)

नकारात्मक ऊर्जा में रहने वाले मनुष्य की पहचान : समय का सदुपयोग नहीं करना, समय पर काम करना, समय की कीमत समझना, हर बात पर प्रश्र चिन्ह लगाना, किसी भी काम करने की चर्चा करने पर मुंह से यही निकलना ‘मुझे नहीं आता है, मैं यह नहीं कर सकता, मुझे इसकी जानकारी नहीं है। ये मेरे लिए संभव नहीं है’ अपनी असफलता के लिए अन्य को जिम्मेदार ठहराना, बात-बात में अपनी प्रशंसा करना , अपने आपको बुद्धिमान और सर्वश्रेष्ठ दिखाने का प्रयास करना, बिना मांगे राय देना, कोई भी कार्य करने से पहले उसके बारे में ज्यादा सोचना और अपना समय बर्बाद करना, काम शुरू करने के पहले असफलता के बारे में ज्यादा सोचना अपने मस्तिष्क में हमेशा प्रश्नचिन्ह लगा कर बैठना। 

 
आपने अपने मस्तिष्क रूपी कम्प्यूटर में साफ्टवेयर लोड कर लिया है आपका मस्तिष्क रूपी कम्प्यूटर इसी सोच के हिसाब से चलेगा। जब तक आपकी नकारात्मक सोच नहीं बदलेगी आपके दिमाग में उपयुक्त बातें नहीं आएंगी। आपने अपने मस्तिष्क में नकारात्मक सॉफ्टवेयर को अपलोड कर लिया है। आपके मुंह और मस्तिष्क से एक ही बात निकलती है can i do this, can i do this. 
 
व्यवहार में यह देखा गया है कि 60 प्रतिशत नकारात्मक सोच रखने वाले वास्तु दोष से दूषित होते हैं। 40 प्रतिशत आदमी अपनी विलपावर, पुरुषार्थ के द्वारा उसको बदल पाते हैं। नकारात्मक सोच बदलने के लिए सबसे अच्छे साधन हैं, अच्छी संगत, अच्छा साहित्य, सकारात्मक पुरुषार्थ। कहने का मुख्य उद्देश्य वास्तु के समाधान के साथ-साथ आपके मस्तिष्क रूपी ब्रह्मांड से can i do this के सॉफ्टवेयर को ‘डिलीट’ करना होगा। ‘डिलीट’ करके ही कुछ पाया जा सकता है।
 
सकारात्मक ऊर्जा में रहने वाले मनुष्य की पहचान : सकारात्मक ऊर्जा में रहने वाले व्यक्ति भाषा, व्यवहार, पहनावा, काम करने के तरीके, सोचने के तरीके से ही पहचान में आ जाते हैं। सकारात्मक ऊर्जा में रहने वाले व्यक्ति से जब आपकी मुलाकात होती है तो उनकी बात करने की शैली, कार्य करने की शैली सबसे अलग होती है। उनके मस्तिष्क रूपी ब्रह्मांड में एक साफ्टवेयर लोड किया रहता है जिसका नाम है yes I can do
 
विशेषताएं : हंसते हुए गर्मजोशी से सबसे मिलना, शालीन कपड़े पहनना, सभी विषयों के सिर्फ सकारात्मक पहलुओं को देखना, दूसरों के सफलतापूर्वक बढ़ते हुए कदम का ध्यान रखना। ईर्ष्या, निंदा, जलन से कोसों दूर रहना। समय की कीमत समझना, समय का सदुपयोग करना, समय की गति के साथ चलना, इसकी बर्बादी से खुद को दूर रखना, समय के लिए अपने पास समय हमेशा रखना। जिंदगी भर पढऩे और सीखने की मन में ललक रखना। सफलताओं के लिए पूजनीय गुरुदेव, आदरणीय माता-पिता एवं विद्वतजन को सम्मानित करना। प्रत्येक मानव में कुछ न कुछ गुण होते हैं। जिनसे भी मिलो उनके अच्छे गुणों की तारीफ करते जाओ। प्रकृति और परमात्मा के लिए दिए हुए अनगिनत उपहारों का सम्मान करते रहना।
 
  —डा. सम्पत सेठी 

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